सबको डराने वाले बंगाल टाइगर को डरा रहा जलवायु परिवर्तन, हो सकते हैं विलुप्त
क्या है खबर?
बंगाल टाइगर का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में इस प्राणी की एक ताकतवर छवि बन जाती है।
लेकिन हो सकता है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के मन में ऐसी कोई छवि न आए क्योंकि उन्होंने बंगाल टाइगर कभी देखा ही नहीं।
हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एक हालिया अध्ययन में सामने आया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बंगाल टाइगर विलुप्त हो सकते हैं।
रिपोर्ट में क्या कहा गया है, आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
बंगाल टाइगर का घर
सुंदरबन के लिए खतरा है समुद्र का बढ़ता जलस्तर
संयुक्त राष्ट्र द्वारा सोमवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन और समुद्र का बढ़ता जलस्तर दुनिया में टाइगर के सबसे बड़े और आखिरी गढ़ों में शामिल सुंदरबन को मिटा सकता है।
सुंदरबन भारत और बांग्लादेश में 4000 वर्ग मील में फैला दलदली क्षेत्र है।
यहां दुनिया का सबसे बड़ा सदाबहार जंगल और एक समृद्ध इकोसिस्टम है, जहां लुप्तप्राय बंगाल टाइगर समेत सैकड़ों जानवर प्रजातियां रहती हैं।
संकट
तापमान बढ़ने से बढ़ता है समुद्र का जलस्तर
सुंदरबन की 70 प्रतिशत जमीन समुद्री स्तर से मात्र कुछ फुट की ऊंचाई पर है और जलवायु परिवर्तन का क्षेत्र पर सीधा असर पड़ सकता है।
बता दें कि पृथ्वी का तापमान बढ़ने पर बर्फ पिघलने की दर भी बढ़ती है, जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ने लगता है।
अगर बढ़ती गर्म से यहां समुद्र का जलस्तर बढ़ता है तो यह जिंदा बचे बाकी कुछ सौ बंगाल टाइगर्स को भी खत्म करने के लिए काफी होगा।
डाटा
5 लाख स्थलीय प्रजातियों को खतरा
रिपोर्ट के अनुसार, बिल्ली की प्रजाति से आने वाला बंगाल टाइगर उन 5 लाख स्थलीय प्रजातियों में शामिल है, जिनका जीवन उनके प्राकृतिक आवासों पर खतरे के कारण सवालों के घेरे में है। बंगाल टाइगर अभी विलुप्ती से एक सीढ़ी नीचे 'लुप्तप्राय' सूची में है।
रिपोर्ट
2070 में सुंदरबन में टाइगर के रहने लायक जगह नहीं
10 शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है कि साल 2070 तक सुंदरबन में टाइगर्स के रहने लायक कोई भी जगह नहीं बचेगी।
बता दें कि इससे पहले 2010 में 'वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर' के एक अध्ययन में सामने आया था कि अगर समुद्र का जलस्तर 11 इंच बढ़ता है तो यह कुछ ही दशकों में सुंदरबन में टाइगर्स की संख्या 96 प्रतिशत तक घटा सकता है।
कारण
जनसंख्या कम होने के हैं ये कारण
20वीं शताब्दी शुरु होने से पहले बंगाल टाइगर्स की वैश्विक जनसंख्या एक लाख से ऊपर थी, जो अब 4,000 से भी कम रह गई है।
बंगाल टाइगर मुख्य तौर पर भारत और बांग्लादेश के अलावा नेपाल और भूटान के कुछ इलाकों में भी पाया जाता है।
उनकी जनसंख्या कम होने का मुख्य कारण वनों की कटाई के कारण प्राकृतिक आवास का नुकसान, शिकार और जानवर के अंगों का गैरकानूनी व्यापार रहा है।