CWC की बैठक में सोनिया गांधी जताई हार पर चिंता, कहा- पार्टी में सुधार की जरूरत
कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (CWC) की बैठक सोमवार को अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई है। इमसें सोनिया गांधी ने हाल ही में सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन चिंता जताते हुए चीजों को फिर से सही करने आह्वान किया। उन्होंने असम और केरल की हार तथा पश्चिम बंगाल में शून्य सीट को अत्यंत निराशाजनक बताया और कहा कि पार्टी को इन गंभीर झटकों पर संज्ञान लेने की जरूरत है।
निराश होना है हार से समझौता करने के बराबर- गांधी
NDTV के अनुसार गांधी ने कहा, "चुनावों में हार पर केवल निराशा जताना परिस्थितियों से समझौता करने के बराबर है। हमें इन गंभीर झटकों का संज्ञान लेने की जरूरत है। मेरा इरादा है कि इन झटकों के कारण रहे हर पहलू पर गौर करने के लिए एक छोटे का समूह का गठन करूं और उससे बहुत जल्द रिपोर्ट ली जाए।" इस दौरान उन्होंने हार के कारणों की समीक्षा करने के लिए एक समिति का गठन करने की भी बात कही।
सोनिया गांधी ने बताई पार्टी में सुधार की जरूरत
गांधी ने कहा, "हमे हार से निराश होने की जगह पार्टी में सुधार पर गौर करना होगा। हमें समझना होगा कि हम केरल और असम में मौजूदा सरकारों को हटाने में विफल क्यों रहे तथा बंगाल में हमारा खाता क्यों नहीं खुला?" उन्होंने आगे कहा, "इन सवालों के कुछ असहज करने वाले सबक जरूर होंगे, लेकिन अगर हम वास्तविकता का सामना नहीं करते, अगर हम तथ्यों को सही ढंग से नहीं देखते तो हम सही सबक नहीं ले सकते हैं।"
कोरोना महामारी और वैक्सीन को लेकर साधा सरकार पर निशाना
बैठक में गांधी ने वैक्सीन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने अपनी जिम्मेदारी को छोड़ दिया है और वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी राज्यों पर डाल दी। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा सभी राज्यों को मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराना आर्थिक रूप से अधिक न्यायसंगत होगा। देश में महामारी की स्थिति और भी भयावह हो गई है। देश भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो गई है। इस घड़ी में भी मोदी सरकार की अन्य प्राथमिकताएं हैं।
चुनावों में यह रही कांग्रेस की स्थिति
बंगाल में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई। इसी तरह असम में भी कांग्रेस उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई। हालांकि, 2016 में उसे वहां महज 29 सीट मिली थी, जो इस बाद 50 तक पहुंच गई, लेकिन सत्ता हासिल नहीं कर पाई। इसके अलावा केरल में भी उसे अपेक्षित परिणाम नहीं मिला। तमिलाडु में उसे DMK से गंठबंधन करने के बाद 18 सीटें मिली और पडुचेरी में भी सार्थक परिणाम नहीं आए।