राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस में बढ़ी आंतरिक कलह, संकट में गहलोत और कमलनाथ
क्या है खबर?
लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में आपसी टकराव का दौर भी शुरु हो गया है।
ताजा मामले में राजस्थान की कांग्रेस सरकार के दो मंत्रियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है।
दोनों मंत्रियों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने गहलोत पर अपने बेटे को पार्टी से ऊपर रखने का आरोप लगाया था।
मध्य प्रदेश से भी कुछ ऐसी ही खबरें आ रही हैं।
CWC बैठक
राहुल ने जताई थी राजस्थान और मध्य प्रदेश में खराब प्रदर्शन पर नाराजगी
शनिवार को कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (CWC) की बैठक में राहुल ने राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसा राज्यों में जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां खराब प्रदर्शन को लेकर सख्त नाराजगी दिखाई थी।
उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, अशोक गहलोत, कमलनाथ और पी चिदंबरम, पर अपने बेटों को पार्टी हित से ऊपर रखने का आरोप लगाया था।
बता दें कि 2014 की तरह इस बार भी कांग्रेस का राजस्थान में सूपड़ा साफ हो गया, वहीं मध्य प्रदेश में 1 सीट आई।
आरोप
गहलोत ने पूरे राज्य की बजाय बेटे की सीट पर ध्यान दिया
राहुल ने बैठक में कहा था कि गहलोत ने एक हफ्ते तक जोधपुर में अपने बेटे का प्रचार किया, जबकि बाकी राज्य को नजरअंदाज करते रहे।
अब राजस्थान के सहकारिता मंत्री उदयलाल अंजना ने राहुल की बातों का समर्थन किया है।
उन्होंने 'इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए कहा कि राज्य में चर्चा है कि अगर मुख्यमंत्री गहलोत अन्य सीटों पर अधिक ध्यान दे सकते थे।
गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए।
आत्ममंथन
खाद्य मंत्री ने कहा, हार को हल्के में न लें
वहीं, खाद्य मंत्री रमेश चंद मीणा ने भी चेताते हुए कहा कि हार को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
उन्होंने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष ने जो कहा है, वह बिल्कुल सही है। राहुल जी ने जो कहा, उस पर आत्ममंथन होना चाहिए। उन्होंने जो कहा वह व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार होने के बावजूद इतनी बड़ी हार के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए और गहलोत, कमलनाथ और चिदंबरम को आत्ममंथन करने की जरूरत है।
बयान
टिकट बंटवारे पर खड़े किए सवाल
गहलोत के इस्तीफे के सवाल पर मीणा ने कहा कि वह अभी इतने बड़े नहीं हुए हैं कि उनका इस्तीफा मांग सके, लेकिन उन्हें आत्ममंथन की जरूरत है। उन्होंने राज्य में टिकटों के बंटवारे पर भी सवाल खड़े किए।
आपसी लड़ाई
मध्य प्रदेश में सिंधिया को कमान देने की मांग
अगर मध्य प्रदेश की बात करें तो सरकार और पार्टी दोनों मोर्चों पर संकट का सामना कर रहे मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को कई बैठकें कीं।
इस बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मंत्रियों ने कहा कि राज्य में पार्टी की जिम्मेदारी उन जैसे युवा और ऊर्जावान नेता को दी जानी चाहिए।
हालांकि सिंधिया के अपनी पारिवारिक सीट गुना से हारने से उनका दावा कमजोर हुआ है और आंतरिक टकराव में यह कमलनाथ के लिए राहत की बात है।
जानकारी
मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार खतरे में
अगर सरकार की बात करें तो 230 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं और उसने सपा-बसपा के समर्थन से सरकार बना रखी है। भाजपा की 109 सीटें हैं और वह कुछ विधायकों को तोड़ सरकार बनाने का प्रयास कर सकती है।
कारण
इस कारण दोनों राज्यों में बने दो कैंप
राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की इस आंतरिक कलह की जड़ें पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव तक जाती हैं।
चुनाव में जीत के बाद युवा होने के कारण राजस्थान में सचिन पायलट और मध्य प्रदेश में सिंधिया के मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अनुभव को तरजीह दी।
तभी से दोनों राज्यों में कांग्रेस में दो कैंप बने हुए हैं, जो हालिया टकराव का कारण है।