हार के बाद कांग्रेस में इस्तीफे पर इस्तीफे, अब तक 6 प्रदेश अध्यक्षों ने छोड़ा पद
क्या है खबर?
लोकसभा में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में इस्तीफों का दौर जारी है।
उत्तर प्रदेश और ओडिशा के बाद अब झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब और असम के प्रदेश अध्यक्षों ने भी हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पार्टी के खराब प्रदर्शन की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया था, जिसे कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (CWC) ने सर्वसम्मति से अस्वीकार कर दिया।
जानकारी
अब तक 6 प्रदेश अध्यक्षों के इस्तीफे
झारखंड प्रमुख अजॉय कुमार, महाराष्ट्र प्रमुख अशोक चव्हाण, पंजाब प्रमुख सुनील जाखड़ और असम प्रमुख रिपुन बोरा ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसी के साथ इस्तीफा देने वाले प्रदेश अध्यक्षों की संख्या 6 पर पहुंच गई है।
पंजाब प्रमुख
राज्य में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद पंजाब प्रमुख का इस्तीफा
इस्तीफा देने वाले प्रदेश अध्यक्षों में पंजाब प्रमुख सुनील जाखड़ एकमात्र ऐसे प्रदेश से आते हैं जहां कांग्रेस का प्रदर्शन 2014 के मुकाबले अच्छा रहा।
पार्टी ने राज्य में 2014 में 3 के मुकाबले इस बार 8 सीटें जीतीं।
हालांकि जाखड़ खुद गुरदासपुर से भाजपा उम्मीदवार और अभिनेता सनी देओल से हार गए। उन्हें 80,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
पनी इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने राहुल गांधी को अपना इस्तीफा सौंपा है।
झारखंड प्रमुख
अजॉय ने 24 मई को भेज दिया था इस्तीफा
अजॉय के इस्तीफे की जानकारी देते हुए झारखंड कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा, "प्रदेश अध्यक्ष ने हार की नैतिक जिम्मेदारी ली है और 24 मई को अपना इस्तीफा भेज दिया।"
उन्होंने साफ किया कि राज्य में पार्टी का प्रदर्शन उनता बुरा नहीं था और उन्होंने सिंहभूम सीट पर आसान जीत दर्ज की, वहीं कुंती और लोहरदगा पर बहुत कम अंतर से हारे।
कांग्रेस को कुंती में 1,400 और लोहरदगा में 10,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
जानकारी
झारखंड में बस एक सीट जीती कांग्रेस
झारखंड में कुल 14 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 12 पर भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी AJSU ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया। वहीं, कांग्रेस और शिबू सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा को एक-एक सीट मिली।
शुरुआत
सबसे पहले यूपी प्रदेश अध्यक्ष ने दिया था इस्तीफा
इससे पहले यूपी में बेहद करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल को अपना इस्तीफा सौंपा था।
राज्य में कांग्रेस का प्रदर्शन इतना खराब रहा कि वह गांधी परिवार के गढ़ अमेठी को भी नहीं बचा पाई और राहुल को भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
अमेठी की जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष योगेंद्र मिश्रा ने भी हार के बाद इस्तीफा दे दिया था।
दूसरा इस्तीफा
राजबब्बर के बाद ओडिशा प्रमुख का इस्तीफा
राजबब्बर के बाद शुक्रवार को ओडिशा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था।
पार्टी राज्य की 21 में से बस 1 सीट जीत पाई, जबकि विधानसभा में उसका आंकड़ा 16 से घटकर 9 पर आ गया।
वहीं, कर्नाटक कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष एचके पाटिल ने भी हार के बाद इस्तीफा दे दिया था।
प्रदेश में सरकार होने के बावजदू कांग्रेस को राज्य की 28 में में बस एक सीट मिली।
आपसी लड़ाई
आंतरिक कलह भी बनी चिंता का विषय
इस्तीफों के बीच कांग्रेस में आंतरिक कलह भी सतह पर आने लगी है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में खराब प्रदर्शन के बाद मंत्रियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कमलनाथ के नेतृत्व पर निशाना साधा है।
राजस्थान में सचिन पायलट और मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक सक्रिय हो गए हैं, जो उन्हें मुख्यमंत्री देखना चाहते थे।
मध्य प्रदेश में सरकार पर खतरे के बीच ये आपसी लड़ाई पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती का विषय बनी हुई है।
अन्य पार्टी
ममता ने भी की थी इस्तीफे की पेशकश
बता दें कि कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी नहीं है, जिसमें हार के बाद भूचाल आया हुआ है।
खबरों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में भाजपा के 18 सीटें जीतने में कामयाब रहने के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने भी मुख्यमंत्री पद छोड़ने की इच्छा जताई थी।
हालांकि पार्टी ने उनके इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव भी होने हैं और भाजपा का उभार ममता के लिए बड़ी चुनौती है।