विपक्ष की बैठक में सोनिया गांधी बोलीं- प्रधानमंत्री का आर्थिक पैकेज देश के साथ क्रूर मजाक
क्या है खबर?
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 22 विपक्षी पार्टियों के साथ बैठक में मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा।
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सरकार की विफलता पर निशाना साधते हुए सोनिया ने कहा कि पूरी शक्ति प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक सीमित होकर रह गई है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को एक क्रूर मजाक बताया।
कोरोना वायरस पर विपक्षी पार्टियों के साथ सोनिया की ये पहली बैठक थी।
हमला
गलत साबित हुई प्रधानमंत्री की 21 दिन में युद्ध जीतने की आशा- सोनिया
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई की मोदी सरकार की रणनीति पर निशाना साधते हुए सोनिया ने कहा, "कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध को 21 दिनों में जीतने की प्रधानमंत्री की शुरुआती आशा सही साबित नहीं हुई। ऐसा लगता है कि वायरस दवा बनने तक मौजूद रहने वाला है। मेरा मानना है कि सरकार लॉकडाउन के मापदंडों को लेकर निश्चित नहीं थी। उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति भी नहीं है।"
आर्थिक पैकेज
सोनिया बोलीं- क्रूर मजाक साबित हुआ आर्थिक पैकेज
अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान की बात कहते हुए सोनिया ने कहा कि प्रधानमंत्री की 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा और फिर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पांच दिनों तक इसका ब्यौरा देना एक क्रूर मजाक साबित हुआ है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष ने गरीबों के खातों में पैसे डालने, सभी परिवारों को मुफ्त राशन और प्रवासी मजदूरों को बस और ट्रेन की सुविधा प्रदान करने की मांग की थी, लेकिन सब अनसुना कर दिया गया।
आरोप
सरकार में गरीबों के प्रति करुणा नहीं- सोनिया
सोनिया ने कहा कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों के अलावा बटाईदार किसानों, भूमिहीन कृषि मजदूरों, नौकरी से निकाले गए मजदूरों, दुकानदारों और स्व-रोजगार करने वालों आदि के 13 करोड़ गरीब परिवारों को क्रूर तरीके से नजरअंदाज किया है।
उन्होंने कहा, 'मौजूदा सरकार के पास कोई समाधान नहीं होना चिंता की बात है, लेकिन उसके पास गरीबों और कमजोर वर्ग के लोगों के प्रति करूणा का नहीं होना दिल तोड़ने वाली बात है।'
आरोप
"लोकतांत्रिक होने का दिखावा भी नहीं कर रही सरकार"
सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करते हुए सोनिया ने कहा, "सरकार ने खुद के लोकतांत्रिक होने का दिखावा करना भी छोड़ दिया है। सारी शक्तियां PMO तक सीमित हो गई हैं। संघवाद की भावना जो हमारे संविधान का अभिन्न भाग है, उसे भुला दिया गया है। संसद के दोनों सदनों या स्थायी समितियों की बैठक कब बुलाई जाएगी, इसका कोई संकेत नहीं है।"
उन्होंने कहा कि रचनात्मक आलोचना करना, सुझाव देना और लोगों की आवाज बनना विपक्ष का कर्तव्य है।
बैठक
ये विपक्षी नेता हुआ बैठक में शामिल
बैठक में राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सीताराम येचुरी, शरद पवार, एमके स्टालिन, तेजस्वी यादव और उमर अब्दुल्ला समेत कई बड़े नेता शामिल हुए।
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
बैठक में सभी विपक्षी पार्टियों ने महाचक्रवात 'अम्फान' को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग भी की।