राहुल गांधी के तीखे तेवर, कहा- वरिष्ठ नेताओं ने बेटों को पार्टी हित से ऊपर रखा
क्या है खबर?
अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस में आत्ममंथन का दौर चल रहा है।
इसी सिलसिले में शनिवार को हुई कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (CWC) की बैठक में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने इस्तीफे की पेशकश की थी, जिसे CWC ने आम सहमति से खारिज कर दिया।
3 घंटे तक चली इस बैठक में कुछ तीखी बातें भी हुईं और राहुल और प्रियंका गांधी ने वरिष्ठ नेताओं पर गुस्सा जाहिर किया।
आरोप
गहलोत, कमलनाथ और चिदंबरम का लिया नाम
खबरों के अनुसार, राहुल कुछ वरिष्ठ नेताओं पर अपने बेटों को पार्टी हित से ऊपर रखने को लेकर जमकर बरसे।
ये तब हुआ जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस को मजबूत स्थानीय नेताओं को बढ़ावा देने की जरूरत है।
इस पर राहुल ने वरिष्ठ नेताओं पर अपने बेटों के लिए टिकट मांगने का आरोप लगाया।
उन्होंने इस कड़ी में अशोक गहलोत, कमलनाथ और पी चिदंबरम का नाम विशेष तौर पर लिया।
सवाल
'जिन राज्यों में सरकार, वहां भी खराब प्रदर्शन'
राहुल ने इस बीच यह बात भी कही कि जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां भी उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बेटों के लिए टिकट पर जोर दिया, जबकि वह इसके पक्ष में नहीं थे।
राहुल ने पार्टी नेताओं पर उनके द्वारा भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उठाए गए मुद्दों को आगे न ले जाने का आरोप भी लगाया।
राहुल गांधी का इस्तीफा
चिदंबरम ने कहा, इस्तीफा दिया तो आत्महत्या कर लेंगे कार्यकर्ता
वरिष्ठ नेताओं पर हमले के बाद राहुल ने कहा कि वह संगठन में जवाबदेही चाहते हैं और इसलिए हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे रहे हैं।
उनकी इस पेशकश पर कई नेता भावुक हो गए और कहा कि राहुल ने आगे रहकर सारी चुनौतियों का सामना किया और उन्हें दिल छोटा करने की जरूरत नहीं है।
चिदंबरम ने तो यहां तक कह दिया कि अगर राहुल इस्तीफा देते हैं तो दक्षिण भारत में पार्टी के कार्यकर्ता आत्महत्या कर लेंगे।
बैठक
प्रियंका के भी वरिष्ठ नेताओं पर तीखे तेवर
इस बीच CWC से पहले राहुल, प्रियंका, सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और पार्टी के चुनिंदा वरिष्ठ नेताओं के बीच भी बैठक हुई।
बैठक में राहुल और प्रियंका बेहद तीखे तेवर में नजर आए।
उन्होंने कहा कि चुनाव में पूरी जिम्मेदारी इन दोनों नेताओं पर ही छोड़ दी गई और वरिष्ठ नेताओं ने सक्रियता नहीं दिखाई।
उनके अनुसार, वरिष्ठ नेताओं को चुनाव में जिनती जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी, उन्होंने वैसी जिम्मेदारी नहीं ली।