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ममता ने उठाया नेताजी की मौत पर रहस्य का मुद्दा, क्या कहते हैं सबूत और जांचें?

ममता ने उठाया नेताजी की मौत पर रहस्य का मुद्दा, क्या कहते हैं सबूत और जांचें?

Aug 18, 2019
09:11 pm

क्या है खबर?

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे बड़े नेताओं में शामिल नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने एक बार फिर से आजाद भारत की राजनीति में एंट्री मारी है। रविवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट करते हुए कहा कि देश के लोगों को ये जानने का हक है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ क्या हुआ। बता दें कि नेताजी की मौत को लेकर कई कहानियां हैं, जिनका अक्सर राजनीतिक लाभ के लिए भी प्रयोग होता है।

ट्वीट

आज ही के दिन हुआ था नेताजी का विमान दुर्घटनाग्रस्त

नेताजी के विमान की दुर्घटना के दिन पर उन्हें याद करते हुए ममता ने उनकी मौत के आसपास बने रहस्य पर सवाल उठाए। ममता ने ट्वीट करते हुए कहा, "आज ही के दिन 1945 में नेताजी ने ताईवान के ताईहोकु एयरपोर्ट से फ्लाइट ली और उसके बाद हमेशा के लिए गायब हो गए। हमें अभी भी नहीं पता कि उनके साथ क्या हुआ। लोगों को धरती के इस महान पुत्र के बारे में जानने का अधिकार है।"

ट्विटर पोस्ट

लोगों को इस महान धरती पुत्र के बारे में जानने का हक- ममता बनर्जी

इतिहास से

18 अगस्त 1945 को हुआ था नेताजी का विमान दुर्घटनाग्रस्त

18 अगस्त 1945 को नेताजी बोस ने ताईवान के ताईहोकु एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी, लेकिन उनका विमान रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यहीं से सारी कहानियों का जन्म होता है। कई लोग मानते हैं कि नेताजी इस विमान दुर्घटना में बच निकले थे।

जांच

1974 तक हुई 10 जांचें, सभी में विमान दुर्घटना में मौत की पुष्टि

अगर नेताजी की मौत को लेकर आधिकारिक तथ्यों की बात करें तो 1945 से 1974 के बीच भारत सरकार के अलावा जापान, ब्रिटेन, अमेरिका और स्वतंत्र पत्रकारों ने कुल 10 जांचें की। इनमें 1956 में बनाया गया शाह नवाज आयोग और 1970 में बनाया गया खोसला आयोग भी शामिल है। इन सभी में इस बात की पुष्टि हुई कि 18 अगस्त को हुई विमान दुर्घटना में नेताजी गंभीर रूप से घायल हुए थे और इसी दिन उनकी मौत हो गई।

मुखर्जी आयोग

1999 में बने मुखर्जी आयोग ने कहा, विमान दुर्घटना में नहीं मरे थे नेताजी

हालांकि इन जांचों के बाद भी नेताजी के विमान दुर्घटना में न मरने की कहानियों पर विराम नहीं लगा, जिसके कारण 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मुखर्जी आयोग का गठन किया। पहले की सभी जांचों से विपरीत मुखर्जी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि 18 अगस्त को ताईवान में कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और इसमें नेताजी की मौत नहीं हुई थी।

सवाल

मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट पर पाई गईं गंभीर गलतियां

लेकिन मुखर्जी आयोग की जांच पर कई गंभीर सवाल उठे। आयोग की रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया कि अगर नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी तो वह कहां गए। रिपोर्ट में जिस आधार पर ये दावा किया गया कि 18 अगस्त 1945 को ताईवान में कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ, उस दावे में भी बड़ी चूक पाई गई। आयोग ने जापान के टोक्यो के मंदिर में रखी नेताजी की अस्थियों का DNA टेस्ट भी नहीं किया।

संवेदनशील फाइलें

सार्वजनिक हो चुकी हैं नेताजी से जुड़ी सारी संवेदनशील फाइलें

इन जांचों के अलावा विभिन्न सरकारें समय-समय पर नेताजी से जुड़ी 2324 "संवेदनशील" गुप्त फाइलें सार्वजनिक कर चुकी हैं। 2015 में पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने पास रखी नेताजी की सारी फाइलों को सार्वजनिक कर दिया था। इसके बाद जनवरी 2016 में केंद्र सरकार ने यहीं काम किया। 2 मार्च 2016 को केंद्र सरकार संसद से कह चुकी है कि अब उसके पास नेताजी से जुड़ी कोई भी संवेदनशील फाइल नहीं है।

"रहस्य"

...लेकिन रहस्य है कि मरता नहीं

18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के घायल होने और उसी दिन उनकी मौत होने के पक्ष में विस्तृत सबूत होने के बावजूद भी उनकी मौत पर बनी कहानियां मरती नहीं हैं। हमें कई बार ऐसी अफवाहें भी सुनने और पढ़ने को मिलती हैं कि जवाहर लाल नेहरू ने नेताजी को "युद्ध अपराधी" कहा था और वह नहीं चाहते थे कि नेताजी भारत आए। हालांकि ये अफवाहें तथ्यों से बिल्कुल परे हैं।