महाराष्ट्र: महायुति के सामने चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती, राजकीय कोष पर बढ़ेगा बोझ
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद भाजपा नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के सामने अपने चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती होगी। पहले से राजकोषीय चुनौती का सामना कर रहे प्रदेश में घोषणा पत्र के वादों को पूरा करने में पसीने छूट सकते हैं क्योंकि इससे राजकीय कोष पर बोझ बढ़ेगा। सबसे अधिक अतिरिक्त बोझ महिलाओं को दी जाने वाली मासिक वित्तीय सहायता में अपेक्षित वृद्धि से राज्य के खजाने पर पड़ेगा।
महायुति गठबंधन ने क्या किया था वादा
महायुति गठबंधन ने चुनाव के दौरान 2.5 लाख रुपये से कम वार्षिक पारिवारिक आय वाली जरूरतमंद महिलाओं को नकद हस्तांतरण बढ़ाने का वादा किया था। यह राशि 1,500 रुपये से 40 प्रतिशत बढ़ाकर 2,100 रुपये प्रतिमाह किया जाएगा। बुजुर्ग पेंशन 1,500 से बढ़ाकर 2,100 रुपये प्रतिमाह किया जाएगा। 10 लाख छात्रों को 10,000 रुपये प्रतिमाह ट्यूशन फीस, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को 15,000 रुपये महीना, किसानों को 15,000 रुपये सालाना और 5 लाख के मुफ्त इलाज का वादा किया है।
कितना पड़ेगा आर्थिक बोझ?
मनीकंट्रोल के मुताबिक, नई सरकार को वित्त वर्ष 2025 में घोषणापत्र में किए वादों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 9,000 करोड़ रुपये और अगले वित्त वर्ष में 35,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाना होगा। अगर महिलाओं की दी जाने वाली राशि 1,500 से बढ़ाकर 2,100 प्रतिमाह की जाती है तो इससे मार्च 2025 तक 5,600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आएगी। इससे राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) लक्ष्य के 2.6 प्रतिशत से अधिक हो सकता है।