मराठा आरक्षण विधेयक पारित होने के बावजूद क्यों भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं मनोज जारांगे?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार ने विशेष सत्र में मराठा आरक्षण विधेयक पारित कर दिया है, इसके बावजूद मराठा नेता मनोज जारंगे पाटिल की भूख हड़ताल जारी है।
जांरागे ने सरकार द्वारा मराठा आरक्षण विधेयक पारित किए जाने का स्वागत किया, लेकिन उन्हें संदेह है कि ये विधेयक कानूनी रूप से लागू हो नहीं पाएगा।
उन्होंने 3 मार्च को राज्यव्यापी रास्ता रोको आंदोलन का ऐलान किया है।
मांग
जारांगे की क्या है मांग?
जारांगे मराठाओं को कुनबी समाज में शामिल कराने मांग कर रहे हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की श्रेणी में आती है। वे चाहते हैं कि मराठाओं के सभी रक्त संबंधियों का कुनबी जाति में पंजीकरण किया जाए।
उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय को OBC में शामिल किया जाना चाहिए और सरकार के दिए गए आरक्षण विधेयक से समुदाय के केवल 100-150 लोगों को ही लाभ होगा और इस समुदाय के अधिकांश लोग आरक्षण से वंचित रहेंगे।
आरक्षण विधेयक
मराठा आरक्षण विधेयक में कहां फंस सकता है पेंच?
महाराष्ट्र विधानसभा में पारित मराठा आरक्षण विधेयक में 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा को तोड़ते हुए शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत कोटा देने का प्रावधान किया है।
ये विधेयक 2018 में तत्कालीन देवेंद्र फड़णवीस की सरकार द्वारा पारित किए गए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 के समान है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था।
सरकार
जारांगे ने और क्या कहा?
जारंगे ने कहा कि वह 'सेज सोयारे' (रक्त संबंधी) कानून को लागू करने की मांग पर कायम है और मराठाओं को कुनबी जाति के तहत OBC में शामिल करने से आरक्षण का लाभ महाराष्ट्र से अलावा दूसरे राज्यों में भी मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि महराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उन्हें वचन दिया था कि जिन लोगों के पास कुनबी प्रमाण-पत्र हैं उनके सभी सगे-संबंधियों को भी कुनबी प्राप्त पत्र दिए जाएंगे।
आंदोलन
जारांगे का क्या है दावा?
जारांगे का दावा है कि 54 लाख लोगों के कुनबी होने का प्रमाण है और उन्हें OBC का प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए, जबकि सरकार ने केवल निजाम युग के दस्तावेज वाले लोगों को प्रमाणपत्र जारी करने पर सहमति जताई है।
दरअसल, इस साल 26 जनवरी से 'शिवबा' संगठन प्रमुख जारांगे ने मराठाओं को OBC में शामिल करने को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया था। इसके बाद शिंदे सरकार ने 27 जनवरी को सभी मांगे मानते हुए आंदोलन खत्म करवा दिया।
सरकार
सरकार ने जारांगे के अनशन पर क्या कहा?
जारांगे द्वारा जारी अनशन पर महाराष्ट्र के मंत्री शंभुराज देसाई ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र सरकार ने जारांगे और मराठा समुदाय की सभी मांगों को पूरा कर दिया है, जो कुनबी प्रमाणपत्र दिए जाने को लेकर आपत्तियां आई हैं, उन पर भी जल्द निर्णय लिया जाएगा। मैं अनुरोध करता हूं कि विरोध करने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार ने मराठा समुदाय के पक्ष में फैसला लिया है।"
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
जारांगे मूल रूप से बीड जिले के रहने वाले हैं और कक्षा 12 में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी।
उन्होंने कांग्रेस के एक कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर 'शिवबा' संगठन स्थापित किया, जो मराठा समुदाय के लिए काम करता था।
जारांगे ने अपने पहले आंदोलन की शुरुआत साल 2011 में अपने गांव से की थी। वह मराठा आरक्षण के जुड़े कई आंदोलनों का नेतृत्व कर चुके हैं।