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    #NewsBytesExplainer: कौन हैं मनोज जारांगे पाटिल, जिन्होंने महाराष्ट्र में फिर उठाई मराठा आरक्षण की मांग? 
    महाराष्ट्र में फिर उठी मराठा आरक्षण की मांग

    #NewsBytesExplainer: कौन हैं मनोज जारांगे पाटिल, जिन्होंने महाराष्ट्र में फिर उठाई मराठा आरक्षण की मांग? 

    लेखन सकुल गर्ग
    Sep 03, 2023
    04:15 pm

    क्या है खबर?

    महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा आरक्षण की मांग को लेकर सियासत गरमा गई है।

    जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में स्थानीय नेता मनोज जारांगे पाटिल की भूख हड़ताल के बाद उठी मराठा आरक्षण की मांग अब राज्य के अन्य इलाकों में भी उठने लगी है।

    राजधानी मुंबई के मरीन ड्राइव पर भी कई मराठा कार्यकर्ताओं ने रविवार को आरक्षण की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

    आइए जानते हैं कि मनोज जारांगे पाटिल कौन हैं।

    परिचय 

    मूल रूप से बीड के निवासी हैं पाटिल 

    पाटिल मूल रूप से बीड जिले के रहने वाले हैं। साधारण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले पाटिल ने कक्षा 12 में पढ़ाई छोड़ दी थी।

    इसके बाद वह अपनी को आजीविका कमाने के लिए जालना के अंबाड तहसील में आ गए और एक होटल में काम करने लगे।

    इसके बाद पाटिल अंबाड तहसील के अंकुश नगर गांव में बस गए। उनके परिवार में माता-पिता, तीन भाई, पत्नी और चार बच्चे हैं।

    परिचय 

    पाटिल ने कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में शुरू की थी राजनीति

    पाटिल ने कांग्रेस के एक कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी।

    हालांकि, बाद में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर 'शिवबा' संगठन स्थापित किया, जो मराठा समुदाय के सशक्तिकरण के लिए काम करता था।

    पाटिल ने औरंगाबाद संभागीय मुख्यालय में एक विशाल रैली का नेतृत्व किया था, जिससे उन्होंने राज्य में मराठा आंदोलन के अग्रणी नेता के रूप में अपनी पहचान स्थापित की थी।

    प्रदर्शन 

    पहले भी कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं पाटिल

    पाटिल ने 2014 से मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर विभिन्न भूख हड़ताल और प्रदर्शन किए हैं। हालांकि, इससे पहले उनके अधिकांश विरोध-प्रदर्शनों की आवाज जालना जिले से बाहर नहीं जा पाई थी।

    बता दें कि पाटिल मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं।

    वह पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ मराठा आरक्षण की मांग उठाने वाले नेताओं में भी शामिल थे।

    प्रदर्शन 

    29 अगस्त को भूख हड़ताल पर बैठे थे पाटिल 

    पाटिल अंबाड तहसील में धुले-सोलापुर रोड पर स्थित अंतरवाली सारथी गांव में अपने समर्थकों के साथ 29 अगस्त को शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे।

    मुख्यमंत्री शिंदे ने पाटिल को फोन कर भूख हड़ताल को खत्म करने का अनुरोध भी किया, लेकिन पाटिल ने उनकी बात नहीं मानी और मांगें पूरी नहीं होने तक अपना प्रदर्शन जारी रखने की बात कही।

    प्रद्रशन 

    जालना में सबसे पहले भड़की थी हिंसा

    अधिकारियों ने बताया कि जब पुलिस ने डॉक्टरों की सलाह पर जारांगे को अस्पताल ले जाने की कोशिश की तो भीड़ अचानक उग्र हो गई।

    इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और जमकर पत्थरबाजी भी की, जिसमें कई पुलिस अधिकारी घायल हो गए।

    पुलिस को प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करना पड़ा।

    राजनीति 

    विपक्ष के कई नेताओं ने किया मांग का समर्थन

    जालना में शनिवार को दूसरे दिन हिंसा जारी रही, जिसके बाद विपक्ष के कई नेताओं ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग का समर्थन करते हुए महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा है।

    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को जालना में प्रदर्शनकारियों के साथ मुलाकात की और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाया।

    उद्धव ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र सरकार से जल्द बात करनी चाहिए।

    आरक्षण 

    न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

    महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने मराठा विरोध प्रदर्शन के बाद 2018 में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने का ऐलान किया था।

    हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आरक्षण को रद्द कर दिया था।

    कोर्ट ने कहा था कि मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित नहीं किया जा सकता है और उन्हें आरक्षण दिया जाना 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन है।

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