महाराष्ट्र: मराठवाड़ा में बढ़ रहे किसानों की आत्महत्या के मामले, इस साल 483 ने दी जान
महाराष्ट्र में इस साल किसान आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई। यहां मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले 6 महीनों में कुल 483 किसानों ने आत्महत्या की है, जिनमें से सबसे अधिक मामले जून महीने के हैं। महाराष्ट्र सरकार के राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल आत्महत्या की मामलों में लगातार वृद्धि देखी गई है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में ही करीब 92 किसानों ने आत्महत्या की है।
किस महीने में कितने किसानों ने की आत्महत्या?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मराठवाड़ा क्षेत्र में जनवरी में 62, फरवरी में 74, मार्च में 78, अप्रैल में 89, मई में 88 और जून में 92 किसानों ने आत्महत्या की। राजस्व अधिकारियों ने बताया कि इस साल कुल 483 मौतों में से बीड जिले में सबसे ज्यादा 128, उस्मानाबाद में 90 और नांदेड़ में 89 किसानों ने आत्महत्या की है। जून में सामने आए 92 मामलों में से बीड में 30 और नांदेड़ में 24 मामले दर्ज हुए।
304 मामलों में परिजनों को दिया जाएगा मुआवजा
एक बयान में राज्य अधिकारी ने कहा, "कुल 483 मामलों में से 304 में किसानों के परिजनों को मुआवजा राशि के लिए पात्र पाया गया और 112 मामलों की जांच जारी है। 67 को मुआवजा राशि के लिए अपात्र पाया गया है।" उन्होंने कहा, "अब तक केवल 10 परिवारों को मुआवजा राशि मिली है, जिसमें 30,000 रुपये की नकद सहायता और भविष्य में दावा करने के लिए सावधि जमा के रूप में रखे गए 70,000 रुपये शामिल हैं।"
2022 में मराठवाड़ा में 1,023 किसानों ने की थी आत्महत्या
इससे पहले महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में 2022 में 1,023 किसानों ने आत्महत्या की थी। 2021 में यह आंकड़ा 887 रहा था। कमिश्नर कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, क्षेत्र के जालना, औरंगाबाद, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, लातूर, उस्मानाबाद और बीड जिलों में 2001 में सिर्फ एक किसान ने आत्महत्या की थी। साल 2001 से 2002 के बीच अब तक इस क्षेत्र के 8 जिलों में 10,431 किसानों ने मौत को गले लगाया है।
क्यों मराठवाड़ा में आत्महत्या करते हैं किसान?
महाराष्ट्र में बीते 2 दशक से मराठवाड़ा क्षेत्र में कभी सूखे जैसी स्थिति और कभी अत्यधिक बारिश देखी गई है, जिसने किसानों की कठिनाइयों को बढ़ा दिया है। यहां अधिकांश मामलों में किसान बैंक से लिया कर्ज लौटाने की स्थिति में नहीं होते हैं और इसके कारण अपनी जान देते हैं। जानकारों का मानना है कि किसानों की आत्महत्या के प्रमुख कारण फसल बर्बाद होने और बैंक से लोन नहीं मिलने के अलावा सरकारों की गलत नीतियां हैं।