देश छोड़कर भागे श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे, आज दे सकते हैं इस्तीफा
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर मालदीव भाग गए हैं। आर्थिक संकट को लेकर देश में बड़े स्तर पर हो रहे प्रदर्शनों के बीच राजपक्षे बुधवार सुबह माले के वेलेना हवाई अड्डे पहुंचे, जहां अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। राजपक्षे के साथ उनकी पत्नी और बॉडीगार्ड समेत कुल चार लोग कोलंबो से एक सैन्य विमान में सवार होकर मालदीव पहुंचे हैं। बता दें कि राजपक्षे आज श्रीलंका के राष्ट्रपति पद से इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं।
अज्ञात जगह ले जाए गए राजपक्षे
माले हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बताया कि राजपक्षे को पुलिस सुरक्षा के बीच अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है। सूत्रों के अनुसार, मालदीव से राजपक्षे किसी दूसरे एशियाई मुल्क में जा सकते हैं। बता दें कि राजपक्षे ने पहले भी श्रीलंका छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन हवाई अड्डे पर अधिकारियों ने उनका सहयोग करने से इनकार कर दिया। अब वो सैन्य विमान से सवार होकर मालदीव पहुंचे हैं।
गिरफ्तारी से बचने की कोशिश
बतौर राष्ट्रपति राजपक्षे को गिरफ्तारी से सुरक्षा मिली हुई है और वो इस्तीफा देने से पहले देश छोड़ देना चाहते थे। अभी राजपक्षे की तरफ से श्रीलंकाई संसद को इस्तीफे से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वो आज दिन में स्पीकर को पत्र भेजकर पद छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं। गौरतलब है कि राजपक्षे बीते शुक्रवार के बाद सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आए हैं।
इस्तीफे के बाद क्या होगा?
अगर राजपक्षे अपने वादे के मुताबिक आज पद छोड़ देते हैं तो प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे कार्यकारी राष्ट्रपति बन जाएंगे। हालांकि, विक्रमसिंघे ने भी इस्तीफे का ऐलान कर दिया है तो श्रीलंका को नया राष्ट्रपति मिलना तय है। नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 15 जुलाई को संसद का नया सत्र शुरू होगा। खबरें आ रही हैं कि 20 जुलाई को होने वाले नए राष्ट्रपति चुनाव के लिए श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी अपने नेता सजीत प्रेमदासा को नामित करेगी।
भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा श्रीलंका
श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा खत्म हो चुकी है और वह जरूरी चीजों का आयात नहीं कर पा रहा है। देश में ईंधन खत्म हो गया है, जिससे वाहनों का चक्का ठप हो गया और कई दूसरी सेवाओं पर भी असर पड़ा है। पर्याप्त उत्पादन न होने के चलते बिजली संकट भी गहरा रहा है। इसके चलते यहां पिछले कुछ महीनों से सरकार विरोधी प्रदर्शन जारी है और हालात बेहद खराब हो चुके हैं।
श्रीलंका में 2016 से खराब होने लगे थे हालात
2016 में पड़े भयंकर सूखे के कारण श्रीलंका के किसानों की कमर टूट गई थी। उसके बाद 2019 में चर्च में सिलेसिलेवार तरीके से हुए बम धमाकों में करीब 300 लोगों की मौत हुई थी। इसका पर्यटन पर भारी असर पड़ा और विदेशी पर्यटकों ने श्रीलंका आना कम कर दिया। श्रीलंका की GDP में पर्यटन क्षेत्र का 10 फीसदी योगदान होता है। 2020 में कोरोना महामारी से हालात बदतर हो गए और पर्यटन क्षेत्र पूरी तरह ठप पड़ गया।
संकट के और क्या कारण?
कोरोना वायरस महामारी और पर्यटन में नुकसान श्रीलंका की इस स्थिति के लिए अकेले जिम्मेदार नहीं हैं और अन्य कई चीजों की भी इस आर्थिक संकट में अहम भूमिका है। इनमें राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की सरकार द्वारा अधिक खर्च, टैक्स में कटौती के कारण सरकार की आमदनी में गिरावट और चीन के कर्ज की अदायगी आदि शामिल हैं। इसके अलावा खेती को पूरी तरह जैविक करने के फैसले से भी खाद्य पदार्थों और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा।