#NewsBytesExplainer: कर्नाटक में भाजपा-JDS गठबंधन की चर्चा; लोकसभा चुनाव पर क्या होगा असर, क्या हैं चुनौतियां?
क्या है खबर?
कर्नाटक में जनता दल सेक्युलर (JDS) और भाजपा साथ आ गए हैं। JDS नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी ने राज्य के हित में विपक्ष के रूप में भाजपा के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है।
कुमारस्वामी के ऐलान के बाद अटकलें हैं कि दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव भी साथ लड़ सकती हैं।
आइए समझते हैं कि अगर ऐसा हुआ तो इसका क्या असर होगा।
कुमारस्वामी
भाजपा से गठबंधन पर क्या बोले कुमारस्वामी?
कुमारस्वामी ने भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर कहा, "इस बारे में बात करने के लिए अभी समय है।"
इससे पहले भी कुमारस्वामी गठबंधन के संकेत देते रहे हैं। 17 जुलाई को उन्होंने कहा था, "आम चुनाव में अभी भी 8-9 महीने का वक्त है। अभी काफी समय है। अभी चुनावी गठबंधन की बात जल्दबाजी होगी। देखते हैं आगे क्या होता है।"
उनके इस बयान से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि वे भाजपा के साथ जा सकते हैं।
भाजपा
गठबंधन को लेकर भाजपा का क्या कहना है?
JDS से गठबंधन को लेकर भाजपा भी सकारात्मक रुख दिखाती रही है। भाजपा के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा ने कुछ दिन पहले कहा था कि उनकी पार्टी और JDS मिलकर राज्य में कांग्रेस सरकार से लड़ेंगे।
पिछले हफ्ते कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था, "यह हमारे नेतृत्व और JDS अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा के बीच चर्चा पर निर्भर करेगा। JDS नेता एचडी कुमारस्वामी ने कुछ भावनाएं व्यक्त की हैं और उस दिशा में चर्चा जारी रहेगी।"
वजह
क्यों हो रही दोनों पार्टियों के हाथ मिलाने की चर्चा?
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा दक्षिण भारत में नए साथियों की तलाश कर रही है।
2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को दक्षिण की 129 में से सिर्फ 29 सीटें ही मिली थीं, इसलिए भाजपा ने रणनीति बदलते हुए कई क्षेत्रीय पार्टियों को साधना शुरू किया है।
दिल्ली में हुई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की बैठक को इसी प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
फायदा
गठबंधन से दोनों पार्टियों को क्या फायदा?
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, साथ आने से दोनों पार्टियों को फायदा हो सकता है।
हालिया विधानसभा चुनावों में JDS को 19 सीटों पर जीत मिली। पिछले 2 दशकों में पार्टी का ये सबसे खराब प्रदर्शन है। भाजपा के साथ आने से JDS को फायदा हो सकता है।
कर्नाटक को दक्षिण का प्रवेश द्वार माना जाता है। ये दक्षिण का एकमात्र राज्य है, जहां भाजपा की सरकार थी। यहां पार्टी के प्रदर्शन का असर पूरे दक्षिण पर पड़ेगा।
चुनौती
गठबंधन को लेकर क्या हैं चुनौतियां?
2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर जीत दर्ज की थी। JDS को मात्र 1 सीट मिली थी। इस लिहाज से देखा जाए तो भाजपा JDS से आगे है।
गठबंधन के विरोध में विश्लेषकों का तर्क है कि JDS से हाथ मिलाए बिना ही पार्टी पिछला प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रहेगी।
इसी साल बेंगलुरू महानगर पालिका और पंचायत चुनाव भी होना है। इसमें पार्टियों के प्रदर्शन पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा।
सरकार
कर्नाटक में रह चुकी है JDS-भाजपा की सरकार
कर्नाटक में एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे भाजपा और JDS ने पहली बार फरवरी, 2006 से अक्टूबर, 2007 के बीच करीब 20 महीने सरकार चलाई थी। कुमारस्वामी के कांग्रेस के नेतृत्व वाली धरम सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद ऐसा हुआ था।
भाजपा-JDS सरकार में कुमारस्वामी मुख्यमंत्री रहे थे, जबकि येदियुरप्पा उपमुख्यमंत्री रहे थे।
दोनों पार्टियों में मतभेद के बाद अक्टूबर, 2007 में सरकार गिर गई थी, जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।