महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: छोटी पार्टियां कैसे बिगाड़ सकती हैं MVA और महायुति का खेल?
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होना है। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी (MVA) के बीच है। हालांकि, कई छोटी पार्टियां भी चुनावी मैदान में ताल ठोंक रही हैं। संभावनाएं हैं कि ये पार्टियां खुद भले प्रभावशाली मौजूदगी दर्ज न करा पाए, लेकिन दोनों गठबंधन की नुकसान पहुंचा सकती हैं। आइए समझते हैं क्या छोटी पार्टियां किंगमेकर साबित हो सकती है।
कौन-कौनसी पार्टियां हैं मैदान में?
महाराष्ट्र में असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) और प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) भी मैदान में हैं। जानकारों का मानना है कि छोटी पार्टियों और निर्दलियों को करीब 30 सीटें मिल सकती हैं। ऐसे में अगर त्रिशंकु विधानसभा बनी तो ये विधायक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में छोटी पार्टियों ने 29 सीटें जीती थीं।
MNS कितनी बड़ी चुनौती पेश कर रही है?
राज्य में राज ठाकरे की MNS को तीसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जा रहा है। परंपरागत रूप से मुंबई और इसके आसपास के इलाकों में MNS का प्रभाव रहा है। ये पार्टी फिलहाल दोनों ही गठबंधन के लिए चुनौती पेश कर रही है। MNS मुंबई में 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इनमें 10 सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा भी मैदान में है। कम से कम 36 सीटों पर MNS अहम भूमिका निभा सकती है।
AIMIM कितनी ताकतवर?
AIMIM का तेलंगाना के बाद महाराष्ट्र में बड़ा वोट बैंक है। खासकर औरंगाबाद और मुंबई में पार्टी का मुस्लिम मतदाताओं के बीच अच्छा प्रभाव है। माना जा रहा है कि AIMIM मुस्लिम वोटों में सेध लगाकर MVA गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है। हालांकि, इस बार पार्टी केवल 16 सीटों पर ही मैदान में है, जबकि पिछले चुनावों में 44 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। AIMIM ने MVA में शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन बात नहीं बन पाई।
VBA करेगा MVA का नुकसान?
VBA ने राज्य में 67 उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से ज्यादातर मुंबई और विदर्भ में हैं। VBA दलितों, बौद्ध दलितों, मुसलमानों और दूसरे पिछड़े समुदायों को साधने वाला छोटी पार्टियों का गठबंधन है, जिसने पिछले चुनावों में 7 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। 2019 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों में VBA ने MVA के वोटबैंक में सेंध लगाई थी। अगर VBA दलित वोटों को साधने में सफल रहता है तो MVA की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मनोज जारांगे पाटिल पर भी नजरें
पार्टियों के अलावा मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल पर भी सबकी नजरें हैं। वे आरक्षण की मांग पर सत्ताधारी गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा चुके हैं, जिसका असर लोकसभा चुनावों में देखने को मिला था। फिलहाल उन्होंने उम्मीदवार उतारे, लेकिन फिर सभी के नाम वापस ले लिए। अब उन्होंने महायुति पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, "जो लोग यह दावा कर रहे हैं कि हिंदू खतरे में हैं, वही मराठों को आरक्षण न दिए जाने के लिए जिम्मेदार हैं।"
महाराष्ट्र में कब है चुनाव?
महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों पर एक ही चरण में 20 नवंबर को मतदान होगा। राज्य में 9.63 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 4.97 करोड़ पुरुष और 4.66 करोड़ महिलाएं हैं। मतदान के लिए कुल 1,00,186 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। महाराष्ट्र में फिलहाल महायुति गठबंधन की सरकार है और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं। महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे 23 नवंबर को झारखंड और दूसरे राज्यों के उपचुनावों के साथ ही जारी किए जाएंगे।