#NewsBytesExplainer: भारत में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा कैसे मिलता है और इससे क्या फायदा होता है?
चुनाव आयोग ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (AAP) को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दे दी। इसके विपरीत ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया गया है। इसके बाद देश में कुल 6 राष्ट्रीय पार्टियां हो गई हैं। आइए समझते हैं किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा कैसे मिलता है।
पहले जानिए पार्टियों की स्थिति में ताजा बदलाव क्या हुआ है
चुनाव आयोग ने TMC, NCP और CPI से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया है, वहीं अरविंद केजरीवाल की AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया है। इसके अलावा कई राज्य स्तरीय क्षेत्रीय पार्टियों की स्थिति में भी बदलाव आया है। नागालैंड में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को, त्रिपुरा में टिपरा मोथा पार्टी (TMP) को और मेघालय में वॉइस ऑफ द पीपुल पार्टी को क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा मिला है।
इन पार्टियों से छिना क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल (RLD), पश्चिम बंगाल में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), आंध्र प्रदेश में भारत राष्ट्र समिति (BRS), मणिपुर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (PDA), पुडुचेरी में पट्टाली मक्कल काची (PMK) और मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (MPC) ने क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया है।
कितनी तरह की होती हैं राजनीतिक पार्टियां?
भारत में राजनीतिक पार्टियों को आमतौर पर 3 श्रेणियों में बांटा जाता है- राष्ट्रीय पार्टी, क्षेत्रीय या राज्य स्तरीय पार्टी और गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी। गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियां वे होती हैं, जो चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड तो होती हैं, लेकिन उन्हें मान्यता नहीं मिली होती। ऐसा इसलिए क्योंकि इन पार्टियों को उतने वोट नहीं मिले होते कि उन्हें क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा दिया जा सके। अब राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पार्टी के बारे में जानते हैं।
कोई पार्टी क्षेत्रीय पार्टी कैसे बनती है?
कोई पार्टी विधानसभा चुनावों में कम से कम 3 प्रतिशत सीटें या 3 सीटें, जो भी अधिक हों, जीते तो उसे क्षेत्रीय पार्टी की मान्यता मिलती है। अगर लोकसभा या विधानसभा चुनाव में पार्टी को कोई सीट न मिले, लेकिन 8 प्रतिशत या इससे ज्यादा वोट मिले, तब भी वह क्षेत्रीय पार्टी बन सकती है। कोई पार्टी विधानसभा चुनावों में कम से कम 6 प्रतिशत वोट प्राप्त कर ले तो भी उसे क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है।
किसी पार्टी को कैसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा?
चुनाव आयोग ने किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा देने के लिए 3 शर्तें निर्धारित कर रखी हैं। इनमें से किसी एक को पूरा करने पर पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है। पहली शर्त है कि किसी भी पार्टी को 4 राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त होना चाहिए। 6 प्रतिशत से अधिक वोट और 2 या इससे अधिक सीटें जीतने पर राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा मिलता है।
अन्य किन तरीकों से मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा?
किसी भी पार्टी को 3 अलग-अलग राज्यों में लोकसभा की कुल 543 सीटों में से कम से कम 2 प्रतिशत सीटें (करीब 11 सीटें) जीतने पर भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है। इसके अलावा यदि कोई राजनीतिक पार्टी 4 लोकसभा सीटों पर जीत के साथ 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव में 6 प्रतिशत या इससे अधिक वोट हासिल कर लेती है तो भी उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है।
AAP को किस नियम के तहत मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा?
AAP को पहले पैमाने के तहत राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है। दिल्ली और पंजाब में उसकी बहुमत की सरकार है। पिछले साल मार्च में गोवा विधानसभा चुनाव में भी उसने 6 प्रतिशत से अधिक वोट और दो से अधिक सीटें जीतकर क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा पा लिया। इसके बाद इस साल फरवरी-मार्च में हुए गुजरात चुनाव में 5 सीटें और 13 प्रतिशत वोट मिलने के बाद वह राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने के योग्य हो गई थी।
TMC, NCP और CPI से क्यों छीना गया राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा?
पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में क्षेत्रीय पार्टी बनने के बाद TMC को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था। गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों में खराब प्रदर्शन के बाद उससे ये दर्जा छीन लिया गया। इसी तरह NCP गोवा, मणिपुर और मेघालय में क्षेत्रीय पार्टी नहीं रही थी, जिसके कारण उससे भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया गया। CPI अब ओडिशा और पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय पार्टी नहीं है, इसलिए उससे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया गया।
देश में अभी कौन-कौन राष्ट्रीय पार्टियां हैं?
चुनाव आयोग के ताजा बदलावों के बाद अब देश में 6 राष्ट्रीय पार्टियां हो गई हैं। इनमें भाजपा, बहुजन समाज पार्टी (BSP), कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और AAP शामिल हैं।
राष्ट्रीय पार्टी को क्या-क्या फायदे मिलते हैं?
राष्ट्रीय पार्टी को पूरे देश के लिए एक चुनाव चिन्ह आवंटित हो जाता है। कोई और पार्टी इसका इस्तेमाल नहीं कर सकती। पार्टी दिल्ली में अपना दफ्तर खोल सकती है। इसके लिए सरकार जमीन या भवन देती है। राष्ट्रीय मीडिया पर प्रचार के लिए निश्चित समय मिलता है। पार्टी चुनाव में 40 स्टार प्रचारकों को उतार सकती है। राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी को नामांकन दाखिल करने के दौरान केवल एक प्रस्तावक की जरूरत होती है।