दिल्ली नगर निगम चुनाव की तारीखों का ऐलान; 4 दिसंबर को मतदान, 7 को नतीजे
लंबे इंतजार को खत्म करते हुए चुनाव आयोग ने दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। शहर में नगर निगम की 250 सीटों पर 4 दिसंबर को मतदान होगा और 7 दिसंबर को मतगणना के बाद नतीजे जारी किए जाएंगे। उम्मीदवार 7 नवंबर से 14 नवंबर के बीच नामांकन दाखिल कर सकेंगे और नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 19 नवंबर होगी। शहर में आज से ही आचार संहिता लागू हो गई है।
SC के लिए 42 और महिलाओं के लिए 104 सीटें आरक्षित
दिल्ली राज्य चुनाव आयुक्त विजय देव ने कहा कि MCD चुनाव में 42 सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित रहेंगी, वहीं इन 42 में से 21 सीटें SC महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी। महिलाओं के लिए कुल 104 सीटें आरक्षित की गई हैं।
चुनाव में भाजपा और AAP के मुख्य मुकाबला
MCD चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच है। भाजपा पिछले दो दशक से अधिक समय से MCD की सत्ता पर काबिज है, वहीं AAP पहली बार MCD चुनाव जीतने की कोशिश में लगी हुई है। 2017 में हुए पिछले चुनाव में भाजपा ने 181 सीटों पर कब्जा किया था, वहीं AAP के हिस्से में 48 सीटें आई थीं। कांग्रेस ने 30 सीटें जीती थीं और वह इस बार भी मुख्य मुकाबले से बाहर है।
चुनाव में सफाई और कूड़े के पहाड़ एक बड़ा मुद्दा
दिल्ली की सत्ता पर काबिज AAP ने इस चुनाव के लिए शहर की सफाई को एक बड़ा मुद्दा बनाया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले हफ्ते गाजीपुर स्थित कूड़े के पहाड़ों का दौरा किया था और यहां से भाजपा पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि इस बार MCD चुनाव दिल्ली की सफाई पर होगा और अगर पांच साल में उन्होंने दिल्ली को साफ नहीं किया तो जनता उन्हें दोबारा वोट न दे।
तीनों नगर निगमों के एकीकरण के बाद हो रहे हैं चुनाव
गौरतलब है कि दिल्ली में तीनों नगर निगमों का एकीकरण कर दिया गया है और इसके बाद ये चुनाव हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने कानून लाकर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC), उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) का एकीकरण किया है और परिसीमन के बाद सीटों की संख्या 272 से घटकर 250 रह गई है। इस एकीकरण के कारण चुनाव में देरी हुई है और AAP ने इसे लेकर भाजपा पर निशाना साधा था।
2011 से पहले भी दिल्ली में होता था एक नगर निगम
बता दें कि दिल्ली में 2011 से पहले एक ही नगर निगम हुआ करता था, लेकिन 2011 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार ने इसे तीन हिस्सों में बांट दिया था। मौजूदा केंद्र सरकार से संबंधित सूत्रों के अनुसार, इन तीनों हिस्सों में क्षेत्र और राजस्व के मामले में असमानता थी, जिसके कारण हर निगम के पास उपलब्ध संसाधनों और उनकी जिम्मेदारियों के बीच एक बड़ा अंतर था।