विपक्षी खेमे को बड़ा झटका, उपराष्ट्रपति चुनाव में अनुपस्थित रहेगी ममता बनर्जी की TMC
क्या है खबर?
विपक्षी खेमे को बड़ा झटका देते हुए ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने उपराष्ट्रपति चुनाव में अनुपस्थित रहने का ऐलान किया है।
पार्टी के इस फैसले की जानकारी देते हुए सांसद और ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने कहा कि सरकार के उम्मीदवार का समर्थन करने का सवाल ही पैदा नहीं होता और विपक्ष का उम्मीदवार तय करते समय 35 सांसदों वाली TMC से चर्चा नहीं की गई, इसलिए पार्टी ने वोटिंग में अनुपस्थित रहने का फैसला किया है।
बयान
हम किसी का भी समर्थन नहीं करेंगे- अभिषेक बनर्जी
एक बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा, "बैठक में फैसला लिया गया कि TMC उपराष्ट्रपति चुनाव में अनुपस्थित रहेगी। हम न NDA के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का समर्थन करेंगे और न ही विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का। हमें पता है कि बंगाल के राज्यपाल के तौर पर जगदीप धनखड़ कैसे थे। उन्होंने अलग-अलग तरीके से बंगाल के लोगों और मुख्यमंत्री पर हमला किया। इसलिए किसी भी कीमत पर हम उनका समर्थन नहीं करेंगे।"
विपक्षी उम्मीदवार
"विपक्ष के उम्मीदवार का नाम तय करते वक्त नहीं ली गई TMC से सलाह"
विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा पर अभिषेक ने कहा कि उनके नाम पर न तो TMC से सलाह ली गई और न ही कोई चर्चा की गई और इसलिए पार्टी उनका भी समर्थन नहीं करेगी।
उन्होंने कहा, "मार्गरेट अल्वा का ममता बनर्जी से अच्छा संबंध है, लेकिन देश का उपराष्ट्रपति व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर नहीं चुना जा सकता। अंतिम फैसला सांसदों पर छोड़ा गया जिनमें से 85 प्रतिशत ने कहा कि हमें वोटिंग में अनुपस्थित रहना चाहिए।"
उपराष्ट्रपति चुनाव
6 अगस्त को होने हैं उपराष्ट्रपति चुनाव
बता दें कि संसद के मौजूदा मानसून सत्र में 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होनी है और इसी दिन वोटों की गिनती होगी।
सत्ता पर काबिज राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, वहीं विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को मैदान में उतारा है।
दोनों सदनों में NDA का बहुमत होने के कारण धनखड़ का उपराष्ट्रपति बनना लगभग तय है।
मौजूदा वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को पूरा होगा।
अप्रत्यक्ष चुनाव
कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल प्रणाली से होता है। निर्वाचक मंडल में राज्यसभा और लोकसभा के सभी निर्वाचित और मनोनीत सांसद होते हैं।
ये सभी सांसद अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट डालते हैं। इसके अलावा उन्हें अपनी दूसरी, तीसरी और ऐसे ही आगे की प्राथमिकता तय करने का विकल्प भी मिलता है।
अंत में सर्वाधिक वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाता है।