#NewsBytesExplainer: विपक्षी गठबंधन INDIA के सामने बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर क्या-क्या मुश्किलें हैं?
लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन INDIA की पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे पर चर्चा शुरू हो गई है। गठबंधन के लिए बिहार में सीटों का बंटवारा करना एक बड़ी चुनौती बन सकता है। खबर है कि बिहार में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंस सकता है। यहां राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU) और कांग्रेस समेत वाम पार्टियों के महागठबंधन की सरकार है। आइए जानते हैं कि बिहार में सीटों के बंटवारे में क्या-क्या मुश्किलें हैं।
बिहार में सीटों का बंटवारा क्यों है मुश्किल?
विपक्षी गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर एक सीधा गणित ये है कि जिस राज्य में गठबंधन की ज्यादा सहयोगी पार्टियां होंगी, उस राज्य में सीटों का बंटवारे में उतनी ही मुश्किलें आएंगी। बिहार में विपक्षी गठबंधन INDIA में 4 से अधिक पार्टियां शामिल हैं और इनके बीच सीटों का बंटवारा करना भी आसान नहीं होगा। इसके विपरीत दिल्ली में ऐसी मुश्किल नहीं आएगी क्योंकि यहां आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ही विपक्षी गठबंधन का हिस्सा हैं।
बिहार में कौन-सी पार्टी कितनी सीट चाहती है?
बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में JDU ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में JDU विपक्षी गठबंधन का हिस्सा है। कांग्रेस कम से कम 9 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जितनी सीटों पर उसने पिछला चुनाव लड़ा था और वाम पार्टियों ने भी सीटों के बंटवारों को लेकर अपना प्रस्ताव सामने रखा है। हालांकि, अभी JDU और RJD ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
सीटों के बंटवारे में क्यों फंस सकता है पेंच?
INDIA गठबंधन ने सीटों के बंटवारे को लेकर समन्वय समिति बनाई है। ये भी स्पष्ट है कि लोकसभा सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों के खिलाफ विपक्ष की ओर से एक संयुक्त उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा। सीटों के बंटवारे में हाल के चुनावों में विपक्षी पार्टियों के प्रदर्शन को भी ध्यान में रखा जाएगा। इस लिहाज से 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के नतीजों में अंतर के कारण सीटों के बंटवारे में पेंच फंस सकता है।
पिछले लोकसभा चुनाव में कैसा रहा था INDIA की पार्टियों का प्रदर्शन?
NDA की तरफ से 2019 चुनाव में JDU ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 पर जीत दर्ज की थी। इनमें से 8 सीटों पर RJD और 5 सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी। RJD ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसके एक भी सीट नहीं मिली। कांग्रेस ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक सीट पर जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव के हिसाब से JDU अधिक सीटों पर दावा कर सकती है।
विधानसभा चुनाव में किसकी कितनी सीटें आई थीं?
लोकसभा चुनाव के विपरीत 2020 विधानसभा चुनाव में RJD 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली JDU केवल 43 सीट जीत पाई थी। ऐसे में विधानसभा चुनाव के हिसाब से RJD ज्यादा सीटों का दावा कर सकती है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी 19 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 12 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस 19 सीटों पर जीती थी।
किन-किन सीटों पर फंस सकता हैं पेंच?
बिहार में कुछ सीटों पर विपक्ष के लिए तालमेल बैठाना मुश्किल हो सकता है। इनमें सुपौल, कटिहार और पूर्णिया लोकसभा सीट शामिल हैं, जहां JDU ने जीत दर्ज की थी, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी यहां दूसरे नंबर पर रहे थे। इसके अलावा जहानाबाद, सीतामढ़ी, मधेपुरा, गोपालगंज, सिवान, भागलपुर और बांका लोकसभा सीटों पर JDU ने जीत हासिल की थी, लेकिन RJD ने इन सीटों पर कड़ी टक्कर दी थी। उस वक्त JDU को NDA वोटों का भी फायदा मिला था।
क्या नीतीश कुमार देंगे सीटों की कुर्बानी?
मुंबई में हाल में संपन्न विपक्षी गठबंधन की तीसरी बैठक में RJD नेता लालू प्रसाद यादव ने कहा था INDIA को जिताने के लिए वह नुकसान झेलने के लिए तैयार हैं। अब JDU प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सबकी नजरें टिकी हैं। विपक्षी पार्टियों को साथ लाने में उनकी बड़ी भूमिका है। ये देखना दिलचस्प होगा कि लालू के हाथ आगे बढ़ाने के बाद वह कितनी सीटों की कुर्बानी देने को तैयार होते हैं।