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    #NewsBytesExplainer: चंद्रयान-3 के किस पेलोड ने अब तक क्या-क्या पता लगाया?
    चंद्रयान-3 मिशन में विभिन्न प्रयोगों के लिए कई पेलोड भेजे गए हैं

    #NewsBytesExplainer: चंद्रयान-3 के किस पेलोड ने अब तक क्या-क्या पता लगाया?

    लेखन रजनीश
    Sep 01, 2023
    09:54 pm

    क्या है खबर?

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग के बाद पहले से निर्धारित अपने उद्देश्यों को पूरा कर रहा है।

    इस मिशन के 3 प्रमुख उद्देश्य थे, जिनमें चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और दूसरा उद्देश्य चांद की सतह पर रोवर के घूमने की क्षमता का प्रदर्शन करना था। ये 2 उद्देश्य पूरे हो गए हैं।

    तीसरे के लिए काम जारी है, जिसका उद्देश्य डाटा इकट्ठा करना और वैज्ञानिक प्रयोग करना है।

    उद्देश्य

    डाटा इकट्ठा करने और इन-सीटू प्रयोग के लिए लगाए गए कई पेलोड

    मिशन के तीसरे उद्देश्य को हासिल करने के लिए चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान में कई पेलोड लगे हैं।

    पेलोड को आसान भाषा में कह सकते हैं कि ऐसे उपकरण, जिनकी मदद से डाटा इकट्ठा करने और वैज्ञानिक प्रयोग करने का काम होता है।

    इन-सीटू प्रयोग उसे कहते हैं जो अंतरिक्ष या स्थल पर ही किए जाते हैं। इन-सीटू प्रयोग खनिजों के बारे में पता लगाने से लेकर सतह के तापमान आदि की जानकारी के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    पेलोड

    लैंडर और रोवर में लगे हैं ये पेलोड

    ISRO की वेबसाइट के मुताबिक, लैंडर में 4 और रोवर में 2 पेलोड लगाए गए हैं।

    लैंडर में रेडियो एनॉटॉमी ऑफ मून बाउंड हायरपरसेंसिटिव ऑयनफेयर और एटमॉस्फियर (RAMBHA), चंद्रा सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE), इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सेस्मिक एक्टिविटी (ILSA) और लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर अरे (LRA) दिया गया है।

    रोवर में लेजर इंड्यूज्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) और अल्फा पार्टिकल्स एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) दिए गए हैं। इसके अलावा कुछ अन्य सेंसर्स और मैकेनिज्म भी हैं।

    LIBS

    LIBS ने लगाया सल्फर का पता

    चंद्रयान-3 ने हाल ही में चांद की सतह पर सल्फर की उपस्थिति की जानकारी दी थी।

    ISRO के मुताबिक, रोवर ने पहली बार इन-सीटू प्रयोग के जरिए दक्षिणी ध्रुव के पास सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की।

    चांद की सतह पर सल्फर की खोज महत्वपूर्ण सफलता है।

    सल्फर की खोज रोवर में लगे LIBS उपकरण से की गई है।

    LIBS ऐसी तकनीक है जो तेज लेजर पल्स के जरिए सामग्री की संरचना का विश्लेषण करती है।

    जानकारी

    हाइड्रोजन का पता लगाने में जुटा है LIBS

    LIBS पेलोड को ISRO की बेंगलुरू की प्रयोगशाला इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम (LEOS) में विकसित किया गया है। LIBS ने कुछ अन्य खनिजों का भी पता लगाया है और हाइड्रोजन की मौजूदगी का पता लगाने में यह जुटा हुआ है।

    APXS

    APXS ने इन खनिजों का पता लगाया

    रोवर पर लगे एक अन्य पेलोड APXS ने दूसरी तकनीक के जरिए सतह पर सल्फर की उपस्थिति को पुख्ता किया।

    APXS ने अन्य छोटे तत्वों एल्युमिनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, आयरन आदि तत्वों की उपस्थिति का पता लगाया है।

    अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री (PRL) के सहयोग से APXS को विकसित किया गया है।

    इस पेलोड के जरिए यह भी पता लगाया जा रहा है कि चांद की मिट्टी और चट्टानें किससे बनी हैं।

    RAMBHA

    RAMBHA-LP ने की प्लाज्मा वातावरण की पहली माप

    चंद्रयान-3 के लैंडर पर लगे RAMBHA-LP पेलोड ने दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में चांद की सतह के पास पहले प्लाज्मा वातावरण की माप की है। ये माप अन्य अंतरिक्ष मिशनों के लिए उन्नत डिजाइन बनाने में योगदान दे सकते हैं।

    रंभा या RAMBHA-LP पेलोड का विकास स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरी (SPL), विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) तिरुवनन्तपुरम द्वारा किया गया है।

    प्लाज्मा माप के लिए लैंगमुइर नाम के जांच उपकरण का भी प्रयोग किया गया।

    ILSA

    चांद की सतह पर कंपन को ILSA ने किया रिकॉर्ड

    चांद की सतह पर भूकंपीय गतिविधि का पता लगाने के लिए ILSA पेलोड का इस्तेमाल किया जाता है।

    इसने रोवर और अन्य पेलोड की गतिविधियों और उनसे होने वाले कंपन को रिकॉर्ड किया है।

    इसके अलावा इसने 26 अगस्त को स्वाभाविक प्रतीत होने वाली एक घटना को रिकॉर्ड किया है। इस घटना के स्त्रोत की जांच की जा रही है।

    ILSA का उद्देश्य प्राकृतिक भूकंपों, प्रभावों और कृतिम घटनाओं से उत्पन्न जमीनी कंपन को मापना है।

    ChaSTE

    ChaSTE ने की तापमान की माप

    चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान का अनुमान भी लगाया है। इसके लिए चंद्र ChaSTE पेलोड का इस्तेमाल किया गया।

    यह पेलोड लैंडर पर लगा है और सेंसर के जरिए तापमान को मापता है।

    इससे वैज्ञानिकों को चांद की सतह के तापीय व्यवहार को समझने में मदद मिलती है।

    चास्टे द्वारा प्रदान की गई चांद के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र की पहली तापमान प्रोफाइल का विश्लेषण वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है।

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