मणिपुर हिंसा: विपक्षी गठबंधन 'INDIA' के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से की मुलाकात, सौंपा संयुक्त ज्ञापन
मणिपुर के दौरे पर गए विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) के प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को राजधानी इंफाल में स्थित राज भवन में राज्यपाल अनुसुइया उइके के साथ मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मणिपुर में शांति स्थापित करने की अपील करते हुए एक संयुक्त ज्ञापन भी सौंपा। बता दें, मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा के कारण 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हुए हैं।
राज्यपाल ने अपना दुख व्यक्त किया- अधीर रंजन चौधरी
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "सभी 21 सांसदों ने उन्हें एक ज्ञापन सौंपा है। जब हमने मणिपुर की स्थिति के बारे में बात की तो उन्होंने खुद अपना दर्द और दुख व्यक्त किया।" चौधरी ने कहा, "उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विपक्ष और सत्तारूढ़ दल दोनों को मिलकर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजना चाहिए और बातचीत करनी चाहिए।"
कांग्रेस सांसद बोलीं- राहत शिविर की हालत हृदय विदारक
कांग्रेस की सांसद फूलोदेवी नेताम ने कहा, "राहत शिविर के एक हॉल में 400-500 लोग रह रहे हैं। राज्य सरकार उन्हें खाने के नाम पर केवल दाल-चावल मुहैया करवा रही है और बच्चों को पूरे दिन खाने के लिए और कुछ नहीं मिल रहा है।" उन्होंने आगे कहा, "राहत शिविर में शौचालय या बाथरूम की कोई सुविधा नहीं। जिस तरह से लोग शिविरों में रह रहे हैं वह बहुत हृदय विदारक है।"
प्रतिनिधिमंडल ने राहत शिविर में लोगों से की थी मुलाकात
विपक्ष की 16 राजनीतिक पार्टियों के 21 सांसदों वाला प्रतिनिधिमंडल शनिवार को इंफाल पहुंचा था। प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों ने हिंसा के कारण सर्वाधिक प्रभावित चुराचांदपुर जिले राहत शिविरों में रह रहे लोगों से मुलाकात की थी। गौरतलब है कि प्रनिधिमडंल में भारतीय कम्युनिट पार्टी (CPI) से संदोश कुमार, समाजवादी पार्टी (सपा) से जावेद अली खान, राष्ट्रीय लोक दल (RLD) से जयंत सिंह, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से महुआ माजी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से मोहम्मद फैजल भी शामिल हैं।
मणिपुर में 3 मई को भड़की थी हिंसा
मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय ने गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने के खिलाफ एकजुटता मार्च मिकाली थी, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी। करीब तीन महीने से हिंसा के नहीं रुकने के कारण पूर्वोत्तर भारत के अन्य राज्यों में आंच पहुंचने का खतरा पैदा हो गया है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में जारी मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई हैं।