मणिपुर हिंसा: राष्ट्रपति मुर्मू से मिले विपक्षी सांसद, बोले- प्रधानमंत्री पर बयान देने का दबाव डालें
मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहा है। बुधवार को विपक्षी पार्टियों के गठबंधन INDIA के 31 सांसदों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा। सांसदों ने अपने ज्ञापन में मणिपुर में शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए राष्ट्रपति से बिना किसी देरी के तत्काल हस्तक्षेप करने को कहा और प्रधानमंत्री मोदी पर शांति बहाल करने के लिए संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा करने का दबाव डालने का अनुरोध किया।
विपक्षी सांसदों ने राष्ट्रपति को मणिपुर की स्थिति से कराया अवगत
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि महामहिम से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में मणिपुर का दौरा करने वाले सांसद भी शामिल थे, जिन्होंने राष्ट्रपति को राज्य की स्थिति से अवगत कराया और अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा, "हमने राष्ट्रपति से निवेदन किया है कि आप प्रधानमंत्री पर मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर तत्काल संसद को संबोधित करने का दबाव डालें, जिसके बाद इस मामले पर विस्तृत और व्यापक चर्चा हो सके।"
सांसदों ने हरियाणा में हुई हिंसा का मुद्दा भी उठाया
राष्ट्रपति मुर्मू को सौंपे गए ज्ञापन में विपक्षी सासंदों ने हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक हिंसा का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार को प्रधानमंत्री कार्यालय से बमुश्किल 100 किमी दूर हो रहे घटनाक्रम की कोई परवाह नहीं है। दरअसल, सोमवार को नूंह में एक जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान उपद्रवियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और हिंसा में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है।
राष्ट्रपति से मणिपुरी महिलाओं को राज्यसभा में नामित करने का भी आग्रह
विपक्ष सांसदों ने राष्ट्रपति मुर्मू से विभिन्न समुदायों से 2 मणिपुरी महिलाओं को राज्यसभा के लिए नामित करने का आग्रह भी किया है। उन्होंने कहा कि इससे मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सुष्मिता देव ने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान यह आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मणिपुरी महिलाओं को राज्यसभा के लिए नामित करना मणिपुर के लिए एक प्रभावी उपाय के रूप में काम करेगा।
विपक्ष सांसदों ने आज भी राज्यसभा से किया वॉकआउट
इससे पहले विपक्ष ने बुधवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री के संबोधन की मांग जारी रखी। विपक्षी सांसदों की मांग पर सभापति सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह प्रधानमंत्री को सदन में उपस्थित रहने का निर्देश नहीं दे सकते और न ही देंगे क्योंकि यह प्रधानमंत्री का सदन है और सदन में आना किसी भी अन्य सांसद की तरह उनका विशेषाधिकार है। इसके बाद में विपक्षी सांसदों ने लोकसभा ने वॉकआउट कर दिया।