दिल्ली सरकार की घर-घर राशन योजना क्या थी और कोर्ट ने इस पर क्यों लगाई रोक?
क्या है खबर?
दिल्ली हाई कोर्ट ने इसी सप्ताह अरविंद केजरीवाल सरकार की घर-घर राशन योजना पर रोक लगा दी थी।
इस योजना के प्रस्ताव से लेकर सरकार की तरफ से हरी झंडी मिलने तक यह लगातार विवादों में रही है।
तकनीकी आधार पर उप राज्यपाल और केंद्र सरकार इस योजना का विरोध करती रही थी।
आइये, समझने की कोशिश करते हैं कि यह योजना क्या थी और क्यों हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगाई है।
शुरुआत
योजना और इसका विरोध
मार्च, 2018 में दिल्ली सरकार ने लाभार्थियों के घर तक राशन पहुंचाने की इस योजना को मंजूरी दी थी। इसे 'मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना' नाम दिया गया था।
सबसे पहले उप राज्यपाल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस योजना से भ्रष्टाचार दूर नहीं होगा, जो इस योजना का सबसे अहम मकसद था और पुराने सेवादाताओं की जगह नए सेवादाता आ जाएंगे।
उप राज्यपाल ने अरविंद केजरीवाल सरकार को केंद्र से भी इसकी मंजूरी लेने की सलाह दी थी।
राशन योजना
केजरीवाल सरकार ने दरकिनार किया विरोध
2021 में केजरीवाल सरकार उप राज्यपाल के विरोध को नजरअंदाज करते हुए योजना के साथ आगे बढ़ी और फरवरी, 2021 में इसे अधिसूचित कर दिया।
अगले महीने यानी मार्च में केंद्र सरकार ने इस योजना के नाम का विरोध किया। साथ ही कहा कि अगर दिल्ली सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के अनाज को शामिल किए बिना दूसरी योजना लाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी।
इसके बाद दिल्ली सरकार ने योजना से 'मुख्यमंत्री' शब्द हटा दिया था।
जानकारी
फिर योजना के साथ आगे बढ़ी सरकार
नाम बदलने के बाद दिल्ली सरकार फिर योजना को लेकर आगे बढ़ी और स्पष्ट किया कि पहले से मौजूद राशन की दुकानें बंद नहीं की जाएंगी और लोगों को राशन डिपो से राशन लेने या घर तक डिलीवरी में से चुनने का विकल्प दिया जाएगा।
कानूनी लड़ाई
अदालत में पहुंची लड़ाई
केजरीवाल सरकार की इस योजना के खिलाफ दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ और दिल्ली राशन डीलर्स यूनियन हाई कोर्ट पहुंच गई। उन्होंने होम डिलीवरी के लिए सरकार द्वारा चुनी गई एजेंसियों को भी चुनौती दी।
याचिकाकर्ताओं की दलील थी नई योजना में मौजूदा राशन डीलर्स को नजरअंदाज किया जा रहा है। मौजूदा कानून में कहीं भी राशन दुकानों को बंद करने की बात नहीं है और उन्हें नए डीलर्स से बदलना उचित नहीं है।
जानकारी
केंद्र ने किया याचिकाकर्ताओं का समर्थन
केंद्र सरकार ने भी याचिकाकर्ताओं का समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के ढांचे में बदला नहीं कर सकती। इस पूरी वितरण व्यवस्था में राशन दुकानें महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट
कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी के नेतृत्व वाली डिवीजन बेंच ने कहा कि कोई राज्य अपने अनाज का इस्तेमाल करते हुए लाभार्थियों के घर तक अनाज पहुंचा सकता है। दिल्ली सरकार मौजूदा राशन डिपो संचालकों की चिंताओं का समाधान किए बगैर यह योजना लागू नहीं कर सकती।
कोर्ट ने उप राज्यपाल की उस सलाह का भी समर्थन किया कि NFSA संसद द्वारा बनाया कानून है। ऐसे में इस योजना के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है।
फैसला
फिलहाल योजना लागू नहीं कर सकती सरकार- कोर्ट
कोर्ट ने अपने फैसले में आगे कहा कि उप राज्यपाल के साथ इस योजना पर मतभेद होने के बाद दिल्ली सरकार को इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजना था।
साथ ही कहा गया कि दिल्ली सरकार की घर-घर राशन योजना फिलहाल लागू नहीं हो सकती है। सरकार इसके लिए दूसरी योजना ला सकती है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले अनाज से इसका संचालन नहीं कर सकती।