दिल्ली विधानसभा चुनावों में क्यों साफ हो गई अरविंद केजरीवाल की AAP, ये हैं कारण
क्या है खबर?
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे लगभग आ चुके हैं। अभी तक के आंकड़ों के हिसाब से भाजपा 48 और आम आदमी पार्टी (AAP) 22 सीटों पर आगे चल रही है।
इसी के साथ दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की सरकार बनना तय हो गया है और 3 बार से चुनाव जीत रही AAP की सरकार से विदाई हो गई है। AAP के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए हैं।
आइए AAP की हार के संभावित कारण जानते हैं।
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार को लेकर घिरी पार्टी
भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर सत्ता में आई AAP खुद ही भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गई।
शराब नीति को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मामले दर्ज किए। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह समेत AAP के शीर्ष नेता इस मामले में जेल गए।
चुनावों के दौरान भाजपा और कांग्रेस ने इस मुद्दे को खूब उठाया। भ्रष्टाचार के आरोपों से पार्टी को नुकसान हुआ।
सत्ता विरोधी लहर
सत्ता विरोधी लहर
AAP ने 2013 के विधानसभा चुनाव में 28 सीटों पर जीत हासिल की और केजरीवाल पहली बार मुख्यमंत्री बने। तब उन्हें शीला दीक्षित के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का फायदा मिला था।
अब इसी सत्ता विरोधी लहर ने AAP को सरकार से बाहर भी कर दिया है। AAP को इसका अंदेशा था और उसने 21 विधायकों समेत 26 प्रत्याशी बदल दिए थे। सिसोदिया की सीट भी बदली गई थी, लेकिन पार्टी को इसका फायदा नहीं हुआ।
वोटबैंक
भाजपा ने वोटबैंक में लगाई सेंध
केजरीवाल लाभार्थी मतदाताओं के भरोसे थे और मुफ्त बिजली और पानी के जरिए राजनीति को आगे बढ़ा रहे थे। मध्यम और निम्न वर्ग का मतदाता इसका लाभार्थी था।
इस बार भाजपा ने भी महिलाओं को राशि देने समेत कई मुफ्त योजनाओं की घोषणा की, जिससे AAP को ये वोटबैंक भी उससे छिटक गया। बजट में 12 लाख तक की आय को कर मुक्त करने का फायदा भी भाजपा को हुआ।
कांग्रेस
कांग्रेस का सुधरा हुआ प्रदर्शन
कांग्रेस भले ही कोई सीट न जीत पाई हो, लेकिन उसका वोट प्रतिशत बढ़ा है।
चुनाव आयोग के मुताबिक. दोपहर 12:45 बजे तक भाजपा को 46.86, AAP को 43.23 और कांग्रेस को 6.36 प्रतिशत वोट मिले हैं। कांग्रेस को 2020 में 4.26 फीसदी वोट मिले थे।
AAP उन्हीं सीटों पर पिछड़ी है, जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी। दिल्ली में AAP ने कांग्रेस का वोट ही हथियाया था, लेकिन कांग्रेस के मामूली बेहतर प्रदर्शन ने AAP का नुकसान कराया है।
इस्तीफा
नेताओं का पार्टी छोड़ना
विधानसभा चुनावों से ठीक पहले AAP के 8 विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए।
इससे पहले AAP के कई कैबिनेट मंत्री भी अन्य पार्टियों में चले गए। इनमें कैलाश गहलोत और राजेंद्र पाल गौतम जैसे बड़े नाम भी हैं, जो कभी AAP का प्रमुख चेहरा हुआ करते थे।
इसके अलावा मुख्यमंत्री पद को लेकर भी सस्पेंस रहा। केजरीवाल फिलहाल जमानत पर बाहर हैं, इसलिए अगले मुख्यमंत्री को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी।