
राज्यसभा चुनाव: कांग्रेस की सीटें होंगी कम, भाजपा और आम आदमी पार्टी को फायदा
क्या है खबर?
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर आने वाले दिनों में राज्यसभा के चुनावों पर देखने को मिलेगा।
पांचों राज्यों में मिली करारी हार के चलते राज्यसभा में कांग्रेस की सीटें तय होना कम है, वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा की सीटें बढ़ने जा रही हैं।
संसद के ऊपरी सदन में साल के अंत तक भाजपा सांसदों की संख्या 100 से पार हो जाएगी। वहीं AAP की सीटें तीन से बढ़कर 10 हो जाएंगी।
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इन पार्टियों की सीटों पर भी पड़ेगा असर
पंजाब चुनाव में करारी हार झेलने वाली शिरोमणि अकाली दल के तीनों सांसदों का कार्यकाल जल्द ही पूरा होने जा रहा है और इसके बाद राज्यसभा में पार्टी का कोई प्रतिनिधि नहीं रहेगा।
शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर पंजाब में चुनाव लड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा था।
उत्तर प्रदेश में महज एक सीट हासिल करने वाली बसपा का भी राज्यसभा में केवल एक सांसद बचेगा।
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पंजाब से सातों राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल हो रहा पूरा
पंजाब में राज्यसभा की सात सीटें हैं। इन पर अभी कांग्रेस और अकाली दल के तीन-तीन और भाजपा का एक सांसद है। अप्रैल और जुलाई में इनका कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है।
पांच सीटों पर चुनाव घोषित हो चुके हैं और ये सभी सीटें AAP के खाते में जाना तय है। बाकी दो सीटों पर भी वह बाद में अपने उम्मीदवार राज्यसभा में भेज सकती है। इस तरह राज्यसभा में AAP के कुल सांसदों की संख्या 10 हो जाएगी।
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कांग्रेस की कितनी सीटें होंगी कम?
अभी राज्यसभा में कांग्रेस के 34 सांसद हैं। इनमें से 13 अप्रैल और जुलाई में रिटायर हो रहे हैं।
हालांकि, पार्टी के पास नौ सीटों पर चुनाव जीतने योग्य विधायक हैं। इस तरह कांग्रेस के सांसदों की संख्या घटकर 30 रह जाएगी।
इनके अलावा वह तमिलनाडु में DMK और असम में AIUDF के सहयोग से एक-एक सीट और जीत सकती है।
हालांकि, यह देखना रोचक होगा कि ये पार्टियों कांग्रेस की मदद को तैयार होती हैं या नहीं।
जानकारी
कांग्रेस के ये राज्यसभा सांसद हो रहे रिटायर
आने वाले कुछ महीनों में कांग्रेस के आनंद शर्मा, एके एंटनी, पी चिदंबरम, विवेक तन्खा, जयराम रमेश, कपिल सिब्बल और अंबिका सोनी का बतौर राज्यसभा सांसद कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है।
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न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
जानकारी के लिए बता दें कि राज्यसभा के सदस्य छह साल के चुने जाते हैं।
हर दो साल बाद एक तिहाई सांसदों का कार्यकाल पूरा हो जाता है और इनकी जगह नए सदस्य आ जाते हैं। इस तरह यह सदन कभी भंग नहीं होता और हमेशा चलता रहता है।
राज्यों से राज्यसभा सांसदों की संख्या उस राज्य की जनसंख्या के हिसाब से तय होती है और विधानसभा के विधायक राज्यसभा सदस्यों का चुनाव करते हैं।