भाजपा नहीं छोड़ेंगी स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी, लेकिन पिता के खिलाफ प्रचार करने से इनकार
क्या है खबर?
भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने स्पष्ट किया है कि वो भाजपा नहीं छोड़ेंगी।
बदायूं से भाजपा सांसद संघमित्रा ने कहा कि उन पर भाजपा को छोड़ने का कोई दबाव नहीं है और वे भाजपा में ही रहेंगी।
हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि पार्टी कहे भी तो वे अपने पिता स्वामी प्रसाद के खिलाफ प्रचार नहीं करेंगी। बाकी सीटों पर वे प्रचार करेंगी।
बयान
सपा में जाने से पहले स्वामी प्रसाद ने नहीं की चर्चा- संघमित्रा
समाचार चैनल NDTV से बात करते हुए संघमित्रा ने कहा कि सपा में जाने से पहले उनके पिता ने उनके साथ कोई चर्चा नहीं की थी और उनके लिए राजनीतिक और पारिवारिक जीवन बिल्कुल अलग-अलग हैं।
मौजूदा स्थिति से भाजपा और उनके लिए समस्या खड़े होने के सवाल पर उन्होंने कहा, "अभी तक पार्टी ने मुझसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा है। मुझे पार्टी के प्रति वफादारी का सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं है।"
विचारधारा
संघमित्रा बोलीं- मेरी और मेरे पिता की विचारधारा एक
संघमित्रा ने कहा कि उनके पिता पिछड़े लोगों के जीवन में सुधार लाने की अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए सपा में शामिल हुए हैं और उनकी भी यही विचारधारा है, लेकिन उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इसे हासिल किया जा सकता है।
भाजपा को पिछड़ा और दलित विरोधी बताने के अपने पिता के दावों पर उन्होंने कहा कि अब मामला प्रधानमंत्री तक पहुंच गया है और जल्द ही इसका समाधान हो जाएगा।
पृष्ठभूमि
इसी महीने भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए थे स्वामी प्रसाद मौर्य
बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस महीने की शुरूआत में भाजपा और सरकार से इस्तीफा दे दिया था और बाद में सपा में शामिल हो गए थे।
उनके साथ दो और मंत्रियों, धर्म सिंह सैनी और दारा सिंह चौहान, ने भी सरकार से इस्तीफा दिया था और वे भी सपा में शामिल हो गए हैं।
तीनों मंत्रियों के कुछ समर्थक विधायक भी सपा में आ गए हैं।
झटका
भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा मौर्य का इस्तीफा
मौर्य का इस्तीफा भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। मौर्य को गैर-यादव OBC वर्ग का एक बड़ा नेता माना जाता है और पिछले चुनाव में उनके कारण भाजपा को इस वर्ग का वोट हासिल करने में बड़ी मदद मिली थी।
यूं तो भाजपा के पास अभी भी उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य के रूप में एक और OBC नेता है, लेकिन चुनाव से ठीक पहले लगा ये झटका उसे नुकसान पहुंचा सकता है।