राहुल और प्रियंका की आलोचना करने वाले नेता को कांग्रेस ने प्रवक्ता पद से हटाया
क्या है खबर?
गांधी परिवार की आलोचना करने वाले तमिलनाडु कांग्रेस के एक प्रवक्ता को उसके पद से हटा दिया गया है।
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) के सदस्य अमेरिकाई वी नारायणन ने हाल ही में सुझाव दिया था कि कांग्रेस को बचाने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को किनारे हो जाना चाहिए।
नारायणन दक्षिण भारत के उन दुर्लभ नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने खुल कर गांधी परिवार के सदस्यों की आलोचना की है।
बयान
नारायणन ने क्या कहा था?
NDTV के साथ इंटरव्यू में नारायणन से जब पूछा गया था कि कांग्रेस की स्थिति सुधारने के लिए गांधी परिवार को क्या करना चाहिए तो उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी को आगे रहना चाहिए, वहीं उनके बच्चों को किनारे हो जाना चाहिए।
उन्होंने कहा था, "मुझे राहुल गांधी बहुत पसंद हैं, लेकिन वो सफलता नहीं दिला पाए। सोनिया गांधी का सफलता हासिल करने का ट्रैक रिकॉर्ड है... मैं राहुल और प्रियंका गांधी से किनारे हटने का अनुरोध करता हूं।"
सुझाव
नारायणन ने दिया था दिग्गज नेताओं को कांग्रेस में वापस लाने का सुझाव
नारायणन ने ममता बनर्जी, शरद पवार, जगन मोहन रेड्डी और के चंद्रशेखर राव जैसे पूर्व कांग्रेसी नेताओं को वापस कांग्रेस में लाने की कोशिश करने का सुझाव भी दिया था, ताकि पार्टी पर लोगों का भरोसा फिर से कायम हो सके।
ममता को अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय क्यों करना चाहिए, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनके तृणमूल की बजाय कांग्रेस में शामिल होकर प्रधानमंत्री बनने की संभावना ज्यादा है।
बयान
सोनिया गांधी ने आज ही कही थी एकता बनाए रखने की बात
इस तरह खुलकर अपनी बात रखना नारायणन को भारी पड़ गया है और पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता के पद से हटा दिया है।
उन पर ये कार्रवाई ऐसे समय पर की गई है जब सोनिया गांधी ने आज ही पार्टी सांसदों की एक बैठक में कहा कि पार्टी को सभी स्तरों पर एकता दिखाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी को मजबूत करने के लिए कई सुझाव मिले हैं और वह उन पर काम कर रही हैं।
बुरा दौर
अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर में है कांग्रेस
बता दें कि कांग्रेस अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। पार्टी केवल पिछले दो लोकसभा चुनावों में नेस्तनाबूद हो गई और राज्यों में भी वह लगातार अपनी सरकारें गंवाती जा रही है।
फरवरी-मार्च में हुए पांच राज्यों के चुनाव में वह एक भी राज्य में चुनाव जीतने में नाकाम रही।
पार्टी के अंदर सुधार की मांग भी लगातार उठ रही है और वरिष्ठ नेताओं के G-23 समूह ने ये मांग सबसे अधिक जोर-शोर से उठाई है।