केंद्रीय मंत्री ने उठाया विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वालों की योग्यता पर सवाल
क्या है खबर?
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध बुधवार को सातवें दिन भी जारी रहा। इसके साथ ही भारत में वहां फंसे छात्रों की वापसी का मुद्दा गरमाता जा रहा है।
मंगलवार को खारकीव में गोलीबारी में एक भारतीय छात्र की मौत होने के बाद सरकार पर सभी छात्रों की तेज वापसी का दबाव बढ़ गया है।
इस बीच केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने छात्रों की चिंता करने के बजाय उनकी योग्यता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
दावा
NEET में फेल होने के बाद विदेश जाते हैं 90 प्रतिशत छात्र- जोशी
यूक्रेन से भारतीय छात्रों की निकासी के प्रयासों के बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने छात्रों की योग्यता पर सवाल खड़े करते हुए कहा, "विदेश में जाकर मेडिकल की पढ़ाई करने वाले 90 प्रतिशत भारतीय छात्र राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) में फेल हो जाते हैं।"
हालांकि, उन्होंने कहा कि यह इस मुद्दे पर बहस का सही समय नहीं है कि छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए बाहर क्यों जा रहे हैं।
जानकारी
विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वालों को देना होता है FMGE टेस्ट
बता दें कि विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को भारत में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एक्जामिनेशन (FMGE) टेस्ट पास करना होता है। इसके बाद ही उन्हें भारत में इलाज करने के लिए योग्य घोषित किया जाता है।
अन्य
भाजपा नेत्री प्रीति गांधी ने छात्रों को ठहराया दोषी
केंद्रीय मंत्री के अलावा महाराष्ट्र की भाजपा नेत्री प्रीति गांधी ने भी यूक्रेन में फंसे छात्रों को ही दोषी ठहराया है।
उन्होंने ट्वीट किया, 'भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से जल्द से जल्द निकालने के लिए पांच एडवाइजरी जारी की थी। उसक समय उड़ानों में टिकट भी उपलब्ध थे, लेकिन किसी भी छात्र ने टिकट बुक नहीं कराई। अपने स्वयं के निर्णयों के लिए दूसरों को दोष देना बहुत ही गैर-जिम्मेदाराना है।'
निशाना
कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना
इस मामले में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "मोदी सरकार ने 20,000 बच्चों को अपने हाल पर छोड़ दिया है, जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है और यूक्रेन गए भारतीय छात्रों में ही दोष ढूंढ़ा जा रहा है। यह असंवेदनशीलता और सत्ता के गर्व की पराकाष्ठा है। बच्चों और उनके परिवारों से माफी मांगें।"
कांग्रेस नेता नवज्योतु पटनायक ने कहा कि जोशी जी क्या इसी कारण से वहां फंसे छात्रों को लौटने का अधिकार नहीं है?
आरोप
अपनी असफलता छात्रों की अक्षमता पर न डाले सरकार- तन्खा
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री का बयान निंदनीय है। छात्र और युवा पढ़ने और नौकरी के लिए विदेशों का रुख करते हैं। दरअसल, देश में इसका अभाव है। संसाधन के अभाव की वजह से भारतीय छात्रों को विदेश जाना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि सरकार अपनी असफलता छात्रों की अक्षमता पर ना डालें। इस समय के हालात में ऐसा बयान बेहद निंदनीय है और इससे छात्रों का मनोबल टूटेगा।
हालात
यूक्रेन में फंसे हैं हजारों भारतीय छात्र
बता दें कि यूक्रेन में युद्ध शुरू होने से पहले करीब 16,000 भारतीय छात्र वहां फंसे हुए थे।
कुछ छात्र युद्ध शुरू होने से पहले ही भारत लौट आए थे और करीब 4,100 को 'ऑपरेशन गंगा' के तहत यूक्रेन से निकाला जा चुका है।पिछले 24 घंटों में ही 1,377 भारतीय छात्रों को सुरक्षित लगाया गया है।
इसी तरह करीब 9,000 छात्रों को यूक्रेन से निकालकर सीमावर्ती देशों में पहुंचा गया है, लेकिन अभी भी 4,000-5,000 छात्र वहां फंसे हैं।
जानकारी
कल खारकीव में हुई थी भारतीय छात्र की मौत
बता दें कि खारकीव में ही कल रूस की गोलाबारी में कर्नाटक निवासी नवीन की मौत हो गई थी। वह वहां पर MBBS की चौथी साल का छात्र था। खारकीव के गवर्नर हाउस पर रूस के मिसाइल हमले के कारण उसकी मौत हुई थी।
प्रयास
भारतीयों को निकासी के लिए सरकार ने तेज किए प्रयास
यूक्रेन में लगातार बिगड़ते हालातों को देखते हुए सरकार ने निकासी अभियान की रफ्तार को बढ़ा दिया है।
इसके तहत अभियान में एयर इंडिया के साथ इंडिगो और स्पाइसजेट को भी शामिल किया गया है। इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश के बाद भारतीय वायुसेना के एक C-17 ग्लोबमास्टर विमान को भी इसमें शामिल किया गया है।
इसके अलावा रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया और मोल्दोवा में मंत्रियों को विशेष दूत के रूप में तैनात किया है।
चुनौती
खारकीव में फंसे छात्रों को बाहर निकालना सबसे बड़ी चुनौती
इस समय भारत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती खारकीव में फंसे छात्रों को सुरक्षित बाहर निकालने की है। यहां भीषण युद्ध चल रहा है और रूस लगातार नागरिक इलाकों पर भी मिसाइलें दाग रहा है।
अलग-अलग रिपोर्ट्स में यहां 4,000 से 5,000 छात्र फंसे होने की बात कही गई है।
यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर खारकीव रूस के पास है, इसलिए छात्रों ने सरकार से उन्हें रूस के रास्ते बाहर निकालने को कहा है।
आरोप
यूक्रेन के फंसे छात्रों ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
इधर, यूक्रेन में फंसे छात्रों ने सोशल मीडिया के जरिए वीडियो शेयर करते हुए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक छात्रा ने कहा कि वो कीव से वापस घर जा रहे थे, लेकिन उन्हें बीच में ही रोक लिया। इसके बाद भी भारतीय दूतावास ने कोई मदद नहीं की।
उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार को उनके जीवन की कोई परवाह नहीं है। एयरलाइंस कंपनियों ने 60,000 रुपये की टिकट कर रखी है। इसे वहन करना संभव नहीं है।