छह लोगों के साथ शुरू हुई कंपनी फ्रेशवर्क्स ने एक साथ 500 कर्मचारियों को बनाया करोड़पति
बिजनेस सॉफ्टवेयर कंपनी फ्रेशवर्क्स इंक ने बुधवार को अमेरिकी एक्सचेंज नैसडेक पर शानदार एंट्री की। इस लिस्टिंग के साथ ही कंपनी ने अपने 500 कर्मचारियों को करोड़पति बना दिया है, जिनमें से लगभग 70 की उम्र 30 साल से कम है। नेसडैक में लिस्ट होने वाली यह भारत की पहली सॉफ्टवेयरस एज सर्विस और यूनिकॉर्न कंपनी है। गिरीश मातृभूतम फ्रेशवर्क्स के प्रमुख हैं और कंपनी ने नेसडैक पर अपने इश्यू प्राइस से 21 फीसदी प्रीमियम पर एंट्री की।
12 अरब डॉलर से पार हुआ कंपनी का राजस्व
नेसडैक पर लिस्टिंग के साथ ही फ्रेशवर्क्स का मार्केट कैप 12 अरब डॉलर से पार हो गया है। ताजा उपलब्धि के बाद मातृभतम ने अपने कर्मचारियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि सबके प्रयासों से यह कंपनी यहां पहुंची है और इसे और आगे लेकर जाना है। बता दें कि 2010 में चेन्नई से छह कर्मचारियों के साथ शुरू हुई फ्रेशवर्क्स 120 देशों में काम करती है और इसका अधिकतर राजस्व अमेरिका से आता है।
76 प्रतिशत कर्मचारियों के पास है कंपनी के शेयर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिलहाल फ्रेशवर्क्स में 4,000 से अधिक कर्मचारी है और इनमें से 76 प्रतिशत के पास कंपनी के शेयर है। एक इंटरव्यू में मातृभूतम ने कहा कि उन्होंने सिर्फ अपने लिए कार खरीदने के लिए यह कंपनी शुरू नहीं की थी बल्कि वो चाहते थे कि उनके सभी कर्मचारी कार खरीद पाएं। उन्होंने कहा कि लिस्टिंग से 500 कर्मचारी करोड़पति बन गए हैं, जिनमें से 69 की उम्र 30 साल से कम हैं।
अमेरिका में क्यों लिस्ट हुई कंपनी?
कंपनी की कामयाबी का श्रेय कर्मचारियों को देते हुए मातृभूतम ने कहा कि फ्रेशवर्क्स को खड़ा करने में सिर्फ उनकी भूमिका नहीं है। सब कर्मचारी मिलकर इसे बना रहे हैं। जब उनसे कंपनी को भारत की बजाय अमेरिका में लिस्ट कराने का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत ही वैश्विक कंपनी के तौर पर हुई थी और दुनिया के 120 देशों में कंपनी के क्लाइंट है। इसका अधिकतर रेवेन्यू अमेरिका से आता है।
छह लोगों के साथ शुरू हुई थी कंपनी
तमिलनाडु के त्रिची में पैदा हुए गिरीश ने पहले इंजीनियरिंग और फिर मद्रास यूनिवर्सिटी से MBA की पढ़ाई पूरी की। करियर की शुरुआत में उन्होंने पांच साल तक जोहो कॉर्पोरेशन के साथ काम किया और वहां वाइस प्रेसिडेंट के पद तक पहुंचे। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर फ्रेशडेस्क नाम से खुद की कंपनी शुरू की। 2017 में उन्होंने इसका नाम बदलकर फ्रेशवर्क्स कर दिया। उनका ध्यान क्लाउड-बेस्ड क्लाइंट सर्विस सॉफ्टवेयर बनाना था।