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    कर्नाटक चुनाव: कांग्रेस ने कैसे अन्य पार्टियों के गढ़ों में सेंध लगाकर हासिल की जीत?
    ककंग्रेस ने कर्नाटक में 135 सीटों पर दर्ज की जीत

    कर्नाटक चुनाव: कांग्रेस ने कैसे अन्य पार्टियों के गढ़ों में सेंध लगाकर हासिल की जीत?

    लेखन सकुल गर्ग
    May 14, 2023
    03:08 pm

    क्या है खबर?

    कर्नाटक चुनाव के नतीजे शनिवार को घोषित हुए, जिसमें कांग्रेस ने 135 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि भाजपा ने 66 सीटें जीती हैं।

    वहीं जनता दल सेक्युलर (JDS) 19 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई।

    गौरतलब है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में पिछले 34 वर्षों में किसी भी पार्टी की सबसे बड़ी जीत हासिल की है।

    आइए जानते हैं कि कांग्रेस ने विभिन्न क्षेत्रों में अन्य पार्टियों के गढ़ों में कैसे सेंध लगाई।

    जीत 

    भाजपा के गढ़ रहे हैं कई क्षेत्र 

    कांग्रेस की जीत का विश्लेषण करने की जरूरत है कि पार्टी ने क्षेत्रीय स्तर पर कैसा प्रदर्शन किया है क्योंकि कर्नाटक के विभिन्न क्षेत्र अन्य पार्टियों के गढ़ रहे हैं।

    कांग्रेस हैदराबाद-कर्नाटक में हमेशा मजबूत रही है, जबकि भाजपा का तटीय कर्नाटक और मुंबई-कर्नाटक में दबदबा रहा है।

    आमतौर पर कर्नाटक में तीन प्रमुख पार्टियों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा जाता है, लेकिन निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर अधिकांश सीटों पर मुकाबला दो पार्टियों के बीच रहा है।

    क्षेत्र

    मध्य कर्नाटक 

    मध्य कर्नाटक में 23 विधानसभा सीटें है और यह क्षेत्र किसी पार्टी की हार-जीत में बड़ी भूमिका निभाता है। कांग्रेस ने इस बार मध्य कर्नाटक में 15 सीटों पर जीत हासिल की।

    संयोग की बात यह है कि 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भी यहां इतनी ही सीटें जीती थीं।

    2008 में भाजपा यहां अग्रणी पार्टी थी, लेकिन 2013 में कांग्रेस ने बढ़त बना ली थी। यही रुझान वोट प्रतिशत में भी देखने को मिला है।

    क्षेत्र 

    मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र

    मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र लिंगायत मतदाताओं की बड़ी आबादी के कारण हमेशा भाजपा के लिए मजबूत गढ़ रहा है।

    लोकप्रिय लिंगायत नेता वीरेंद्र पाटिल को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद लिंगायत दशकों से कांग्रेस के खिलाफ हैं, लेकिन इस बार यहां बदलाव देखने को मिला है।

    कांग्रेस ने इस क्षेत्र की 50 विधानसभा सीटों में से 33 पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा को 2018 के मुकाबले 33 सीटों की जगह इस बार सिर्फ 16 सीटें मिलीं।

    क्षेत्र 

    पुराना मैसूर 

    पुराना मैसूर क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़ा क्षेत्र है और एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां जनता दल सेक्युलर (JDS) का मजबूत आधार रहा है।

    JDS हमेशा यहां अग्रणी पार्टी रही है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने JDS से बेहतर प्रदर्शन किया और 42 प्रतिशत वोट हासिल किए, जो 2018 की तुलना में 7 प्रतिशत अधिक है।

    कांग्रेस ने इस बार यहां अपनी सबसे अधिक विधानसभा सीटें (43) भी जीती हैं, जबकि JDS सिर्फ 14 सीटें ही जीत सकी।

    क्षेत्र 

    हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र 

    कांग्रेस ने हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र की 40 सीटों में से 26 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा को केवल 10 सीटें मिलीं।

    हैदराबाद क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन इस बार पार्टी पिछले दो दशकों में हुए सभी चुनावों से ज्यादा वोट प्रतिशत हासिल करने में कामयाब रही है।

    गौरतलब है कि पार्टी को 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में चार प्रतिशत अधिक वोट मिले हैं।

    क्षेत्र 

    बेंगलुरू शहरी

    कांग्रेस ने बेंगलुरू शहरी क्षेत्र में 13 सीटें जीतीं, जो पिछले चुनाव की तुलना में 2 कम हैं।

    भाजपा और कांग्रेस दोनों ऐतिहासिक रूप से बेंगलुरू में बहुत प्रतिस्पर्धी रही हैं और दोनों ने 2023 के चुनाव समेत पिछले चार विधानसभा चुनावों में लगभग 40 प्रतिशत वोट प्राप्त किए हैं।

    भाजपा को इस बार पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में चार सीटों का फायदा हुआ है। पिछली बार दो सीटें जीतने वाली JDS इस बार दोनों हार गई।

    क्षेत्र 

    तटीय कर्नाटक क्षेत्र

    तटीय कर्नाटक क्षेत्र में 19 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा ने 12, कांग्रेस ने 6 और JDS ने 1 सीट जीती है। यह एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां भाजपा ने कांग्रेस से दोगुनी सीटें जीती हैं।

    बता दें कि तटीय कर्नाटक हमेशा भाजपा और कांग्रेस के लिए एक बड़ा महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है और पिछले कुछ चुनावों में, चाहे वह लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, भाजपा यहां बढ़त बनाने में सफल रही है।

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