देवेंद्र फडणवीस बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, सामने होंगी ये चुनौतियां
लंबी खींचतान के बाद आखिरकार देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गजों की मौजूदगी में उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। उनके साथ अजित पवार और एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। अब फडणवीस के सामने गठबंधन को संभालने, राज्य के आर्थिक हालात और विपक्ष से निपटने जैसी कई चुनौतियां हैं। आइए जानते हैं फडणवीस को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
लाड़की बहिन योजना को जारी रखने की चुनौती
विधानसभा चुनाव में महायुति की जीत में सबसे अहम भूमिका निभाने वाली 'लाड़की बहिन योजना' अब चुनावी नतीजों के बाद सरकार के सामने चुनौती भी पेश कर सकती है। योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये दिए जाते हैं। चुनाव जीतने पर ये राशि बढ़ाकर 2,100 रुपये करने का वादा किया था। अगर ऐसा किया जाता है तो सरकार को 45,000 करोड़ रूपये से ज्यादा खर्च करने होंगे, जिससे आर्थिक चुनौती बढ़ेगी।
दूसरे वादे भी बढ़ाएंगे आर्थिक चुनौतियां
महायुति ने किसान सम्मान निधि की राशि 12,000 से बढ़ाकर 15,000 रूपये करने और किसानों की ऋण माफी, वृद्धावस्था पेंशन में बढ़ोतरी जैसे वादे भी किए थे। इन वादों को पूरा करने में बड़ी रकम की जरूरत होगी। फिलहाल महाराष्ट्र पर करीब 7.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। शिंदे द्वारा लिए गए लोकलुभावन फैसलों ने सरकार पर करीब 90,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ डाला है। ऐसे में आर्थिक हालात संभालना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
शिंदे-पवार से बनाना होगा तालमेल
फडणवीस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अजित और शिंदे के साथ तालमेल बनाने की होगी। नतीजों के बाद कथित तौर पर शिंदे उपमुख्यमंत्री पद को लेकर नाराज बताए गए। वहीं, मुख्यमंत्री बनने की अजित की ख्वाहिश किसी से छिपी नहीं है। महाराष्ट्र में बीते 5 साल में 3 बार सरकारें बदली हैं। ऐसे में फडणवीस को एक तरफ स्थिर सरकार चलाना है तो दूसरी तरफ अजित और शिंदे जैसे अनुभवी नेताओं के साथ संतुलन बनाना है।
फिर उठ सकता है मराठा आरक्षण का मुद्दा
लोकसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा खूब उठा था। कहा जाता है कि महायुति को इससे चुनावों में नुकसान भी हुआ। अब फडणवीस के सामने इसे स्थायी तौर पर हल करने की चुनौती है। शिंदे खुद मराठा समुदाय से थे, इस वजह से मराठा आरक्षण के अगुवा मनोज जारांगे पाटिल इतने मुखर नहीं थे, लेकिन फडणवीस के खिलाफ वे नए सिरे से आंदोलन कर सकते हैं।
निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन की जिम्मेदारी
फडणवीस के सामने एक और चुनौती बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनावों को जीतना है। शिंदे BMC चुनावों तक मुख्यमंत्री पद मांग रहे थे, लेकिन भाजपा राजी नहीं हुई। शिवसेना पहले ही कह चुकी है कि मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बदले निकाय चुनाव में उसे ज्यादा हिस्सेदारी चाहिए। शिवसेना में विभाजन के बाद ये पहले निकाय चुनाव भी होंगे। ऐसे में इन्हें जीतना फडणवीस के लिए अग्निपरीक्षा की तरह माना जा रहा है।
ज्यादा से ज्यादा निवेश लाने की चुनौती
भाजपा ने महाराष्ट्र को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर 'विजन महाराष्ट्र 2028' पेश किया जाएगा। इस लक्ष्य को पाने के लिए फडणवीस के सामने ज्यादा निवेश लाने की चुनौती होगी। चुनावों के दौरान सरकार पर आरोप लगे कि उसकी लापरवाही से महाराष्ट्र की परियोजनाएं गुजरात जा रही हैं। फडणवीस ने इसके लिए विपक्ष को जिम्मेदार बताया था, लेकिन अब उन्हें इस पर काम करना होगा।