#NewsBytesExplainer: 2 लोकसभा सीटों से 303 सीटों तक, कैसा रहा भाजपा का राजनीतिक सफर?
भाजपा आज अपना 44वां स्थापना दिवस मना रही है। 6 अप्रैल, 1980 को अस्तित्व में आई भाजपा आज सदस्यता के मामले में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। कभी केवल 2 सीटें जीतने वाली भाजपा के पास आज 303 लोकसभा सीटें हैं और देश के 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उसकी सरकार है। भाजपा के शून्य से शिखर तक पहुंचने की यात्रा काफी उतार-चढ़ाव से भरी रही है। आइए इस पर नजर डालते हैं।
कैसे शुरू हुआ भाजपा का सफर?
वर्तमान भाजपा की जड़ें 21 अप्रैल, 1951 को स्थापित हुए जनसंघ से जुड़ी हुई हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस के बढ़ते वर्चस्व को रोकने और जनता को दूसरा राजनीतिक विकल्प देने के उद्देश्य से जनसंघ की स्थापना की। जनसंघ ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को अपना एजेंडा बनाया और इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का भी साथ मिला। 1952 के आम चुनावों में जनसंघ ने 94 उम्मीदवार उतारे। पार्टी को 3.1 फीसदी वोट मिले और उसके 3 उम्मीदवार जीते।
आजादी के बाद से आपातकाल तक का सफर
जनसंघ को आपातकाल तक चुनावों में बड़ी सफलता नहीं मिली। हालांकि, 1960 के दशक में जनसंघ में दो ऐसे चेहरे प्रवेश कर चुके थे, जो भारतीय राजनीति को बदलने का माद्दा रखते थे। ये दो नाम थे- अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी। 1968 में वाजपेयी जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए। इस दौरान पार्टी के एजेंडे में समान नागरिक संहिता, गौहत्या पर रोक और जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने जैसे मुद्दे शामिल थे।
जनसंघ से जनता पार्टी का सफर
1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया तो जनसंघ इसके खिलाफ मैदान में कूद पड़ा। कई नेता गिरफ्तार हुए और जेल भेजे गए। 1977 में आपातकाल खत्म हुआ तो विपक्षी दलों ने वैचारिक मतभेद भुलाकर कांग्रेस को हराने के लिए जनता पार्टी बनाई। इस तरह जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया। 1977 में हुए चुनावों में जनता पार्टी को जीत मिली और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। हालांकि, दो साल बाद ही ये सरकार गिर गई।
कैसे अस्तित्व में आई भाजपा?
1978 में जनता पार्टी में दोहरी सदस्यता का मुद्दा उठा। दरअसल, जनसंघ के लोगों को इसी शर्त पर जनता पार्टी में शामिल किया गया था कि वे RSS की सदस्यता छोड़ देंगे। जनता दल के समाजवादी गुट ने जब जनसंघ के नेताओं से ऐसा करने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया और अलग पार्टी बना ली। इस तरह 6 अप्रैल, 1980 को भारतीय जनता पार्टी यानि भाजपा अस्तित्व में आई। वाजपेयी भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
भाजपा का पहला लोकसभा चुनाव
1984 में भाजपा ने अपना पहला आम चुनाव लड़ा। इन चुनावों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। पार्टी को मात्र दो सीटों पर जीत मिली। वाजपेयी खुद चुनाव हार गए। दरअसल, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति की लहर ने कांग्रेस को चुनावों में शानदार जीत दिलाई और विरोधी पार्टियों का सफाया हो गया। इसके बाद 1986 में आडवाणी के हाथों में भाजपा की कमान आई।
राम मंदिर आंदोलन से फिरे भाजपा के दिन
आडवाणी के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी ने हिन्दुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाया। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ। पार्टी ने इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया। 1989 का लोकसभा चुनाव आते-आते राजीव गांधी सरकार बोफोर्स घोटाले से घिर चुकी थी। भाजपा को इसका भी फायदा मिला और 1989 में हुए चुनावों में भाजपा को 85 सीटें मिलीं। कांग्रेस चुनाव हार गई।
जब पहली बार राज्यों में खिला कमल
1990 में पहली बार एक साथ तीन राज्यों, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश, में भाजपा की सरकार बनी। इस बीच 1991 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 120 सीटों पर जीत दर्ज की। 1991 में ही उत्तर प्रदेश में भी भाजपा सत्ता में आई और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने। दिसंबर, 1992 में बाबरी मस्जिद विवाद के बाद कांग्रेस की केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया।
13 दिन और 13 महीने की सरकार
1996 के चुनावों में भाजपा ने 161 सीटें जीतीं और सहयोगियों के दम पर सरकार बनाई। वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन 13 दिनों में ही सरकार गिर गई। 1998 में भाजपा ने 182 सीटें जीतें और फिर वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। इस बार उनकी सरकार 13 महीने चली। 1999 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने फिर जीत दर्ज की और इस बार वाजपेयी ने कार्यकाल पूरा किया। 2004 में हुए चुनावों में पार्टी हार गई और 10 साल तक सत्ता से दूर रही।
2014 के बाद भाजपा का एकछत्र राज
भाजपा ने 2014 का आम चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा और 282 सीटें जीतकर पहली बार केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई। 2019 लोकसभा चुनाव में उसने 303 सीटों पर जीत दर्ज की। ये पहली बार था जब किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी को लगातार दूसरी बार स्पष्ट बहुमत मिला। मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा सही मायनों में एक राष्ट्रीय पार्टी बनी और मार्च, 2021 तक 21 राज्यों में भाजपा या उसके गठबंधन की सरकार थी।