
संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली में 20 मार्च को बुलाई महापंचायत, सरकार को घेरने की तैयारी
क्या है खबर?
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेतृत्व में 20 मार्च को किसानों ने दिल्ली में महापंचायत बुलाई है। किसान दिल्ली के रामलीला मैदान में 20 मार्च को सुबह 10 बजे से शाम 3.30 बजे तक महापंचायत करेंगे।
बता दें कि किसानों की ये महापंचायत केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और किसानों के खिलाफ मामले वापस नहीं लेने के विरोध में की जा रही है।
किसान आज से ही दिल्ली में जमा होना शुरू हो चुके हैं।
आरोप
केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ आशीष मित्तल ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने उत्पादन की कुल लागत पर 50 फीसदी MSP लागू करने का लिखित आश्वासन दिया था।
उन्होंने कहा, "सरकार ने इसके लिए जो कमेटी बनाई उसमें 26 सदस्य ऐसे थे, जो औद्योगिक घरानों के पक्ष में थे और किसानों की MSP की मांग का खुलकर विरोध कर रहे थे।"
मांग
ये हैं किसानों की मांगें
किसान ऋण माफी, 5000 रुपये प्रति माह पेंशन और सिंचाई के लिए 300 यूनिट मुफ्त बिजली की मांग कर रहे हैं।
इसके अलावा कृषि में औद्योगिक घरानों और विदेशी कंपनियों पर रोक, कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग पर विदेशी कंपनियों पर रोक और कृषि भूमि में विदेशी निवेश पर रोक की मांग कर रहे हैं।
किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं, उन्हें वापस लेने की मांग भी किसानों के एजेंडे में शामिल है।
संगठन
32 किसान संगठन पहुंचेंगे दिल्ली
किसान नेता राकेश टिकैत ने 12 मार्च को कहा था कि संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से इस महापंचायत में 32 किसान संगठन भाग लेंगे।
उन्होंने कहा, "देश के कोने-कोने से किसान दिल्ली पहुंचेंगे। अब की बार जब तक सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं करेगी, तब तक आंदोलन किया जाएगा। सरकार के साथ जो समझौते हुए थे, वे आज तक लागू नहीं किए गए। अब सरकार किसानों को दोबारा आंदोलन करने के लिए मजबूर करना चाहती है।"
आंदोलन
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने किया था आंदोलन
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून बनाए थे। इनके खिलाफ पंजाब से शुरू हुआ आंदोलन पूरे देश में फैल गया था। किसानों ने करीब 14 महीने तक लगातार इन कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
इस दौरान कई किसानों की मौत भी हुई और कई बार आंदोलन हिंसक भी हुआ। अंत में किसानों के विरोध के आगे सरकार को झुकना पड़ा और ये तीनों कृषि कानून वापस ले लिए गए।