करगिल विजय दिवस: 20वीं वर्षगाँठ पर जानिए 1999 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की कुछ महत्वपूर्ण बातें
जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर करगिल के ऊपर पहाड़ों में हुए युद्ध में पाकिस्तान पर अपनी जीत के उपलक्ष्य में भारत आज करगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगाँठ मना रहा है। भारतीय वायुसेना की मदद से आज से 20 साल पहले लद्दाख सेक्टर में करगिल की हिमाच्छादित ऊँचाइयों पर पाकिस्तान की सेना को शिकस्त दी थी। आज विजय दिवस के मौक़े पर हम आपको 1999 में हुए करगिल युद्ध से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं।
दो महीने से ज़्यादा चला था भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध
जम्मू-कश्मीर के करगिल जिले में 1999 के मई और जुलाई के बीच -10 डिग्री सेल्सियस के तापमान में करगिल युद्ध हुआ था। यह युद्ध दो महीने से ज़्यादा चला और 26 जुलाई, 1999 को समाप्त हुआ। युद्ध में दौरान 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।
चरवाहों की मदद से लगाया घुसपैठ वाली जगहों का पता
करगिल का युद्ध भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ का पता लगने के बाद शुरू हुआ था। शुरुआत में पाकिस्तानी सैनिकों को लाभ हुआ, क्योंकि उन्होंने पहले ही ख़ुद को प्रमुख स्थानों पर तैनात कर लिया और भारतीय सैनिकों को भड़काया। भारतीय सेना ने स्थानीय चरवाहों की जानकारी के आधार पर घुसपैठ करने वाली जगहों का पता लगाया और 'ऑपरेशन विजय' का शुभारंभ किया।
वायुसेना ने बनाई थी पाकिस्तान में बम गिराने की योजना
भारतीय वायुसेना ने 26 मई को सेना के समर्थन में ऑपरेशन सफ़ेद सागर के तहत अपना हवाई अभियान शुरू किया। भारतीय वायुसेना ने अपने मिग-21, मिग-27 और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने करगिल युद्ध में रॉकेट और मिसाइलों से दुश्मन के गढ़ वाले ठिकानों पर हमला किया। वायुसेना ने युद्ध के दौरान पाकिस्तान में बम गिराने की योजना भी बनाई थी, लेकिन अटल बिहारी के नेतृत्व वाली तत्कालीन NDA सरकार ने इसकी इजाज़त नहीं दी।
पाकिस्तान ने मार गिराए थे दो भारतीय फ़ाइटर जेट
दरअसल NDA सरकार ने तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल एवाय टिपनिस को निर्देश दिया कि उनके लड़ाकू विमानों को किसी भी परिस्थिति में नियंत्रण रेखा को पार नहीं करना चाहिए। इसके अलावा वायुसेना भी करगिल युद्ध के दौरान नियंत्रण रेखा पार करना चाहती थी, लेकिन इस अनुरोध को भी सरकार ने ख़ारिज कर दिया था। युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने दो भारतीय फ़ाइटर जेट मार गिराए थे, जबकि एक अन्य ऑपरेशन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
युद्ध में नौसेना ने भी निभाई थी अहम भूमिका
भारतीय सेना और वायुसेना के अलावा इस युद्ध में भारतीय नौसेना ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी। युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की तेल और ईंधन की आपूर्ति को रोकने के लिए नौसेना ने पाकिस्तानी बंदरगाहों विशेष रूप से कराची में नाकाबंदी करने के लिए ऑपरेशन तलवार शुरू किया। पश्चिमी और पूर्वी बेड़े ने अरब सागर में गश्त की और पाकिस्तान के व्यापार मार्गों को काटने की धमकी भी दी।
पाकिस्तान ने लगाई थी अमेरिका से हस्तक्षेप की गुहार
करगिल युद्ध से घबराए पाकिस्तान ने अमेरिका से हस्तक्षेप की गुहार लगाई, लेकिन अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने साफ़-साफ़ मना कर दिया और कहा कि इस्लामाबाद को नियंत्रण रेखा से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए। युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा अपने सैनिकों को वापस बुलाए जाने के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने बाक़ी चौकियों पर हमला बोल दिया और 26 जुलाई तक उन पर क़ब्ज़ कर लिया।
शुरुआत में पाकिस्तान ने युद्ध में अपना हाथ होने से कर दिया था इनकार
पाकिस्तान ने शुरुआत में करगिल युद्ध में अपनी कोई भूमिका होने से साफ़ इनकार कर दिया था और कहा था कि भारत, कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानियों के साथ युद्ध लड़ रहा है। हालाँकि, युद्ध के बाद पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को मेडल से सम्मानित किया था। करगिल युद्ध में अधिकारिक तौर पर 527 भारतीय सैनिक शहीद और 1,300 से ज़्यादा जवान घायल हुए थे। जबकि, पाकिस्तान के 357 से 453 के बीच सैनिकों की मौत हुई थी।
युद्ध में हो सकती थी मुशर्रफ और नवाज शरीफ की मौत
एक अंग्रेज़ी अख़बार के अनुसार, करगिल युद्ध में अगर चूक न हुई होती तो परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ की भी मौत हो सकती थी। दरअसल, 24 जून, 1999 को सुबह 08:45 बजे जब युद्ध अपने चरम पर था, उस समय भारतीय वायुसेना के एक जगुआर ने नियंत्रण रेखा के ऊपर उड़ान भरी। उसका निशाना सीधे पाकिस्तानी सेना के एक अग्रिम ठिकाने पर था। जगुआर का इरादा 'लेज़र गाइडेड सिस्टम' से बमबारी करने के लिए टारगेट को चिन्हित करना था।
टारगेट पर बम गिराने से चूक गया जगुआर
उसके पीछे एक अन्य जगुआर था, जिसे टारगेट पर बम गिराना था, लेकिन वो चूक गया। जानकारी के अनुसार, अगर दूसरा जगुआर सही जगह बम गिराता तो पाकिस्तान के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ और तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की वहीं मौत हो गई होती।