मामूली RSS वर्कर से लेकर मोदी को 'महानायक' बनाने तक, ऐसा है अमित शाह का सफर
क्या है खबर?
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद नरेंद्र मोदी को 'महाविजय' का 'महानायक' बताया था।
मोदी को 'महानायक' बनाने के पीछे जिस शख्स का हाथ है वो हैं अमित शाह। शाह ने 2014 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा की बागडोर संभाली थी।
शाह के अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव के अलावा हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में अपना झंडा लहरा दिया।
जन्म
मुंबई में जन्मे हैं शाह
देश की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे शाह का सफर हमेशा से इतना आसान नहीं रहा था।
मुंबई में जन्मे शाह का पालन-पोषण गुजरात के मानसा गांव में हुआ था। शाह को बचपन से देशभक्तों की कहानियों से लगाव रहा है।
वो राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ (RSS) के विजन और राष्ट्रवाद विचारों से प्रभावित होकर कम उम्र में संघ में शामिल हो गए।
संघ के बाद उन्होंने भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विधार्थी परिषद में भी काम किया।
काम
पार्टी नेताओं पर छोड़ी अपने काम की छाप
ABVP में काम करने के बाद शाह ने 1984-85 में भाजपा का दामन थामा था।
शाह की संगठनात्मक कार्यप्रणालियों में कौशलता को देखते हुए उन्होंने पार्टी ने भारतीय जनता युवा मोर्चा को राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बना दिया।
इसके बाद उन्हें पार्टी ने राज्य सचिव और गुजरात में पार्टी का राज्य उप-प्रमुख नियुक्त किया।
इस पूरे सफर के दौरान शाह पार्टी के बड़े नेताओं पर अपने काम की छाप छोड़ते रहे।
जानकारी
लालकृष्ण आडवाणी को चुनाव जीतने में मदद की
शाह की कार्यप्रणाली पर भाजपा के बड़े नेताओं का भरोसा बढ़ता गया। उन्होंने 1989 में अहमदाबाद से चुनाव लड़ रहे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के चुनावों के प्रबंधन का काम संभाला था। इस दौरान वो नरेंद्र मोदी के संपर्क में आए।
राजनीतिक जीवन
मोदी के मुख्यमंत्री रहते संभाले कई मंत्रालय
नरेंद्र मोदी उन दिनों गुजरात में भाजपा के संगठन सचिव थे। दोनों ने मिलकर अलग-अलग चुनावों में पार्टी के लिए काम किया और चुनावी सफलता हासिल की।
1995 में गुजरात में भाजपा की सरकार आई। यह सरकार दो साल चली और 1997 में गिर गई।
इसके बाद हुए चुनावों में शाह ने सारखेज से जीत हासिल की और विधायक बने।
साल 2002 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने और शाह को गृह मंत्रालय समेत कई महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए।
जानकारी
सोहराबुद्दीन मामले ने बढ़ाई शाह की मुश्किलें
साल 2010 में शाह के लिए मुश्किलें बढ़ गई। 2005 में हुए सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में 2010 में अमित शाह को जेल जाना पड़ा। हालांकि, बाद में उन्हें अदालत ने इस मामले में बरी कर दिया।
2019 लोकसभा चुनाव
अब आते हैं सीधा 2019 पर
अपनी रणनीति के दम पर शाह ने पिछले कई सालों से भारतीय राजनीति में एक नई तरह की शुरुआत की है।
यह शाह की रणनीति की ही सफलता है कि भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत से सत्ता में लौटी है। ऐसा इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के साथ हुआ था।
चुनाव से पहले एक इंटरव्यू में शाह ने कहा था कि भाजपा को 300 से कम एक भी सीट नहीं मिलेगी और नतीजों ने यह साबित कर दिया।