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    बुर्का बैन की मांग के बीच केरल के मुस्लिम शैक्षिण संगठन ने लगाया हिजाब पर प्रतिबंध

    बुर्का बैन की मांग के बीच केरल के मुस्लिम शैक्षिण संगठन ने लगाया हिजाब पर प्रतिबंध

    लेखन मुकुल तोमर
    May 03, 2019
    01:14 pm

    क्या है खबर?

    भारत में बुर्के पर प्रतिबंध पर छिड़ी ताजा बहस के बीच केरल के एक शैक्षिक संगठन ने अपने सभी संस्थानों में महिलाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

    राज्य में कुल 150 शैक्षिक संस्थान चलाने वाली मुस्लिम शैक्षिक संस्था (MES) ने गुरुवार को निर्देश जारी किया।

    इन संस्थानों में 10 पेशेवर संस्थान, 18 कला और विज्ञान संस्थान, 36 CBSE स्कूल और अन्य तरीके के कई संस्थान शामिल हैं। इनमें मिलाकर कुल 85,000 छात्र और 15,000 कर्मचारी हैं।

    निर्देश

    श्रीलंका और बुर्का बैन की मांग से संबंध होने से इनकार

    एक प्रगतिशील संस्था मानी जाने वाली MES ने अपने निर्देश का श्रीलंका के ताजा प्रकरण या भारत में विभिन्न सगंठनों की बुर्के पर प्रतिबंध की मांग से कोई भी संबंध होने से इनकार किया है।

    बता दें कि 21 अप्रैल को ईस्टर के दिन सिलसिलेवार बम धमाकों में 250 लोगों की मौत होने के बाद श्रीलंका ने राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी तरह से चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

    डाटा

    बुर्का और हिजाब में अंतर

    बता दें कि बुर्का और हिजाब में फर्क होता है। जहां हिजाब में केवल गर्दन और सिर को ढका जाता है और चेहरा दिखता है। वहीं बुर्के में पूरे शरीर को ढका जाता है और आंखों के सामने भी एक जाल लगा होता है।

    बयान

    MES अध्यक्ष ने कहा, ड्रेस कोड का इस्लाम से कोई संबंध नहीं

    MES अध्यक्ष पीए फजल गफूर के हवाले से जारी निर्देश को अगले शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा।

    गफूर ने इस पर कहा, "इसमें कुछ नया नहीं है। हमारी इस पर स्पष्ट राय रही है। कुछ रूढ़िवादी तत्व महिलाओं पर ड्रेस कोड थोप रहे हैं। इसका इस्लाम से कुछ लेना-देना नहीं है।"

    जहां कई संगठन MES के निर्देश का समर्थन कर रहे हैं, वहीं अन्य संगठनों ने इसे धार्मिक आजादी के खिलाफ बताते हुए प्रतिबंध पर सवाल खड़े किए हैं।

    मांग

    शिवसेना ने की थी बुर्के पर प्रतिबंध की मांग

    श्रीलंका में चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगने के बाद शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में संपादकीय लिखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत में भी बुर्का प्रतिबंध करने की मांग की थी।

    इसमें सवाल किया गया था कि जब रावण के देश श्रीलंका में बुर्के पर प्रतिबंध लग सकता है तो श्रीराम के देश भारत में क्यों नहीं।

    उसने फ्रांस, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण देते हुए कहा था कि अधिकांश मुस्लिम महिलाएं भी बुर्के के खिलाफ हैं।

    प्रतिक्रिया

    जावेद अख्तर ने कहा, बुर्के के साथ घूंघट पर भी लगे रोक

    शिवसेना की मांग पर प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर ने कहा था कि बुर्के पर रोक लगने से उन्हें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन घूंघट पर भी रोक लगनी चाहिए।

    उन्होंने कहा था कि घूंघट भी हट जाए और बुर्का भी हट जाए तो उन्हें बेहद खुशी होगी।

    उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार को राजस्थान में चुनाव संपन्न होने से पहले ऐलान करना चाहिए कि कि राजस्थान में कोई घूंघट नहीं लगा सकता।

    डाटा

    जावेद को देनी पड़ी सफाई

    जब जावेद के बयान पर विवाद होने लगा तो उन्होंने ट्वीट कर इस पर दोबारा अपनी राय रखी। उन्होंने सुरक्षा की बजाय महिला सशक्तिकरण के लिए जरूरी बताते हुए कहा था कि चेहरा ढंकना बंद होना चाहिए, फिर चाहे वह नकाब हो या घूंघट।

    ट्विटर पोस्ट

    महिला सशक्तिकरण के लिए नकाब और घूंघट पर रोक लगने की जरूरत- जावेद अख्तर

    Some people are trying to distort my statement . I have said that may be in Sri Lanka it is done for security reasons but actually it is required for women empowerment . covering the face should be stopped whether naqab or ghoonghat .

    — Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) May 3, 2019
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