स्मृति ईरानी का ऐतिहासिक उलटफेर, राहुल गांधी को उनके गढ़ अमेठी में 55,120 वोटों से हराया
भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने अमेठी में ऐतिहासिक उलटफेर करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हरा दिया। दोनों के बीच मुकाबला नजदीक रहा, लेकिन स्मृति ने शुरु से अंत तक अपनी बढ़त बनाए रखी। उन्हें कुल वोट 4,68,514 हासिल हुए, जबकि राहुल को 4,13,394 वोट हासिल हुए। अमेठी गांधी-नेहरू परिवार को गढ़ रहा है और राहुल पिछले तीन चुनाव से यहां से जीतते हुए आ रहे थे।
अमेठी से केवल 2 बार हारी थी कांग्रेस
अमेठी लोकसभा सीट का निर्माण 1967 में किया गया था। सीट तभी से कांग्रेस का गढ़ रही है और वह केवल 2 बार यहां से हारी है। आपातकाल के बाद हुए 1977 लोकसभा चुनाव और 1998 चुनाव में पार्टी यहां से हारी थी।
गांधी परिवार का अमेठी से संंबंध
अगर अमेठी से गांधी परिवार के संबंध की बात करें तो सबसे पहले 1980 लोकसभा चुनाव में राहुल के चाचा संजय गांधी इस सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। उनकी मौत के बाद राजीव गांधी यहां से सांसद बने। राजीव यहां से 4 बार सांसद बने। उनकी मौत के बाद 1999 में सोनिया गांधी ने यहां से चुनाव लड़ते हुए जीत दर्ज की। राहुल के नाम यहां सर्वाधिक समय तक सांसद रहने का रिकॉर्ड है।
पिछली बार भी राहुल को मिली थी कड़ी टक्कर
2004 और 2009 चुनाव में सीट पर आसान जीत दर्ज करने वाले राहुल को पिछले चुनाव में थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी औ स्मृति ईरानी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। चुनाव में राहुल जीत का अंतर 2009 में 3.70 लाख वोटों से घटकर 1 लाख वोट रह गया था। हालांकि ईरानी ने हार के बाद भी अमेठी में पिछले 5 साल में काफी मेहनत की। भाजपा ने भी यहां आक्रामक प्रचार किया और इसका नतीजा सबके सामने है।
अमेठी में हार, लेकिन वायनाड से जीते राहुल
राहुल अमेठी से हार गए हैं, लेकिन केरल की वायनाड सीट से उन्होंने जीत हासिल की है। राहुल इस सीट से 4 लाख से अधिक वोटों से जीते हैं दक्षिण भारत को साधने के लिए राहुल ने वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला लिया था।