रिटायरमेंट के बाद भारतीय कर्मचारी को बची हुई छुट्टियों के बदले मिले 19 करोड़ रुपए
भारतीय लोग अपनी मेहनत के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। भारतीय न केवल कड़ी मेहनत करते हैं, बल्कि छुट्टियां भी कम लेते हैं। इसी की एक बानगी है पूर्व अधिकारी अनिल मणिभाई नाईक। नाईक ने 50 साल की अपनी नौकरी के दौरान जमकर मेहनत की और अब उन्हें उनकी बची हुई छुट्टियों के लिए Rs. 19 करोड़ मिले हैं। केवल छुट्टियों के Rs. 19 करोड़ सुनकर चौंक गए ना! आइए आपको पूरी जानकारी देते हैं।
जूनियर इंजीनियर से चेयरमैन बने नाईक
नाईक साल 1965 में कंस्ट्रक्शन कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) से जूनियर इंजीनियर के तौर पर जुड़़े थे। इसके बाद वह अपनी मेहनत के बल पर सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए कंपनी के चेयरमैन बन गए। कंपनी के गैर-कार्यकारी चेयरमैन नाईक अब रिटायर हो चुके हैं। अपने 50 साल से ज्यादा के नौकरी के समय में नाईक नियमित काम पर गए। जब उन्होंने 2018 में अपनी बची हुई छुट्टियों को कैश कराया तो उन्हें लगभग लगभग Rs. 19 करोड़ मिले।
अंबानी से भिड़ चुके हैं नाईक
Rs. 2.73 करोड़ बेसिक सैलरी के साथ पिछले साल नाईक का कुल भुगतान Rs. 1.37 अरब था। उन्हें रिटायरमेंट ग्रेच्युटी और अन्य लाभों से करीब Rs. 100 करोड़ हासिल हुए। अगस्त 2016 में नाईक ने अपने पूरे जीवनकाल के दौरान अपनी कमाई का 75 प्रतिशत हिस्सा चैरिटी के कार्यों में लगाने का ऐलान किया था। एक चर्चित किस्से के मुताबिक, नाईक अपने कार्यकाल के दौरान 90 के दशक में L&T को बचाने के लिए अंबानी परिवार से भिड़ गए थे।
पद्म विभूषण सम्मान भी मिला
नाईक को 70वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया है। सरकार ने उनको यह सम्मान व्यापार और उद्योग इंफ्रास्ट्रक्चर में उनके योगदान के लिए दिया है। 2009 में उन्हें सरकार की ओर से पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। नाईक गुजरात के गांव के एक प्राइमरी स्कूल शिक्षक के बेटे हैं। कड़ी मेहनत से सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए उनका जीवन सटीक उदाहरण है।