लिवर कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं ये योगासन
कैंसर एक गंभीर बीमारी है और यह कई तरह की होती है। इन्हीं में से एक है लिवर का कैंसर। लिवर कैंसर तब होता है जब लिवर की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और सामान्य कोशिकाओं को नष्ट या नुकसान पहुंचाती हैं। इससे लिवर अपने सामान्य कार्य करना बंद कर देता है। आइए आज हम आपको कुछ योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं जो लिवर के कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
नौकासन
नौकासन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर श्वासन की मुद्रा में बिल्कुल सीधे लेट जाएं। इसके बाद अपने दोनों पैरों के पंजों को आपस में जोड़ते हुए उन्हें 45 डिग्री तक सांस भरते हुए उठा लें। अब अपने दोनों हाथों को कंधे की सीध में उठाते हुए घुटनों की तरफ एकदम सीधा रखें। इसी अवस्था में अपने सिर और पीठ को भी उठाएं और नाव का आकार ले लें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे योगासन को छोड़ें।
भुजंगासन
भुजंगासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर अपने हाथों को अपने कंधों के नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं। अब अपने हाथों से दबाव देते हुए अपने शरीर को जहां तक संभव हो सके, उठाने की कोशिश करें। इस दौरान सामान्य तरीके से सांस लेते रहें। इसके बाद कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं, फिर इस योगासन को दोहराएं।
उष्ट्रासन
उष्ट्रासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट बिछाकर उस पर घुटनों के बल बैठ जाएं, फिर घुटनों के बल ही खड़े हो जाएं। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें और दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर और बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रखने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम एक-दो मिनट रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं और कुछ मिनट विश्राम करें।
कपालभाति
कपालभाति के लिए योगा मैट पर पद्मासन की स्थिति में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें। इसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़कर नाक से गहरी सांस लें, फिर पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए सांस छोड़ें और सांस छोड़ते समय ज्यादा दबाव न डालें। कुछ मिनट इस प्रकिया को दोहराने के बाद धीरे-धीरे आंखों को खोलें और प्राणायाम का अभ्यास बंद कर दें।