मोतियाबिंद के जोखिमों को कम करने में सक्षम हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
मोतियाबिंद आंखों से जुड़ी बीमारी है। यह तब होती है, जब आंखों में प्रोटीन के गुच्छे जमा हो जाते हैं और लेंस रेटिना को स्पष्ट चित्र भेजने में असमर्थ होता है। इसके कारण आंखों में धुंधलापन से लेकर कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। हालांकि, योग की मदद से इस बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। आइए आज ऐसे कुछ योगासनों के अभ्यास का तरीका जानते हैं, जो मोतियाबिंद रोगियों के लिए फायदेमंद है।
शीर्षासन
शीर्षासन करने के लिए पहले योगा मैट पर वज्रासन की अवस्था में बैठ जाएं। फिर अपने दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक करते हुए आगे की तरफ झुककर हाथों को जमीन पर रखें। अब अपने सिर को झुकाकर जमीन से सटाएं। फिर पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और सीधे कर लें। कुछ सेकेंड इसी मुद्रा में बने रहे और सामान्य गति से सांस लेते रहें। फिर सांस छोड़ते हुए पैरों को नीचे करें और धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
विपरीतकरणी आसन
विपरीतकरणी आसन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठा कर 90 डिग्री का कोण बना लें। ध्यान रखें कि आपके तलवे ऊपर की ओर ही होने चाहिए। इसके बाद अपने नितंब को ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम दो-तीन मिनट तक रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। इसके बाद दोबारा इस योगासन का अभ्यास करें।
अधोमुख श्वानासन
इसके लिए सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब सामने की तरफ झुकते हुए अपने हाथों को जमीन पर रखें और गहरी सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं। इस दौरान घुटनों को सीधा करके सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस योगासन में शरीर का पूरा भार हाथों और पैरों पर होना चाहिए और शरीर का आकार 'V' जैसा नजर आना चाहिए। कुछ मिनट इसी अवस्था में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
प्रसारिता पादोत्तनासन
सबसे पहले योगा मैट पर सीधे खड़े होकर पैरों को तीन से चार फीट तक खोलें। अब एक गहरी सांस लेकर पीठ को धीरे-धीरे नीचे की तरफ झुकाएं और सिर को जमीन से सटाने की कोशिश करें। फिर सांस छोड़ें और धीरे-धीरे कूल्हों को ऊपर की तरफ उठाएं। इसके बाद अपने हाथों से दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़ें। कुछ देर इसी मुद्रा में सामान्य रूप से सांस लेते रहें और फिर एक-दो मिनट बाद धीरे-धीरे आसन को छोड़ दें।