
2025 में अब तक रिकॉर्ड 190 अरब रुपये की क्रिप्टोकरेंसी चोरी, उत्तर कोरिया की बड़ी भूमिका
क्या है खबर?
हैकर्स ने इस साल की पहली छमाही में बड़े स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी की चोरी की है। क्रिप्टो विश्लेषण फर्म चैनालिसिस के नए आंकड़ों के अनुसार, 2025 के पहले 6 महीनों में करीब 2.17 अरब डॉलर (लगभग 190 अरब रुपये) की क्रिप्टो चोरी हुई है। यह अब तक की सबसे बड़ी चोरी मानी जा रही है। यह आंकड़ा पिछले साल की कुल चोरी से भी ज्यादा है। चेनालिसिस ने इसे अब तक का सबसे खराब साल बताया है।
निशाना
बायबिट एक्सचेंज बना सबसे बड़ा निशाना
इस साल की सबसे बड़ी चोरी क्रिप्टो एक्सचेंज बायबिट से हुई, जहां करीब 1.4 अरब डॉलर (लगभग 120 अरब रुपये) की क्रिप्टोकरेंसी हैक की गई। इस हमले के पीछे उत्तर कोरियाई हैकरों का हाथ बताया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, हैक की गई अधिकांश रकम बाद में मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए उत्तर कोरियाई शासन तक पहुंच गई। यह चोरी अकेले कुल चोरी का सबसे बड़ा हिस्सा रही और वैश्विक साइबर सुरक्षा के लिए गंभीर चेतावनी मानी जा रही है।
रणनीति
उत्तर कोरिया की छिपी रणनीति उजागर
चेनालिसिस के मुताबिक, यह घटना उत्तर कोरियाई हैकिंग के उस पैटर्न का हिस्सा है, जो प्रतिबंधों से बचने की कोशिशों में है। उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग से कटे होने के कारण क्रिप्टो चोरी से अपने कार्यक्रमों के लिए पैसे जुटा रहा है। खासकर परमाणु हथियार कार्यक्रम के लिए यह फंडिंग हो रही है। यह देश तकनीकी कंपनियों पर साइबर हमला कर बौद्धिक संपदा चुराने और कंपनियों को ब्लैकमेल करने के लिए भी बदनाम है।
भूमिका
क्रिप्टो हैकिंग में उत्तर कोरिया की बड़ी भूमिका
चेनालिसिस की एक पुरानी रिपोर्ट बताती है कि 2024 में करीब दो-तिहाई क्रिप्टो चोरी के लिए उत्तर कोरियाई हैकर ही जिम्मेदार थे। इस बार भी उनकी भूमिका सबसे बड़ी रही है। हजारों उत्तर कोरियाई IT कर्मचारी दुनियाभर की तकनीकी कंपनियों में नौकरी कर अंदर से सिस्टम में सेंध लगाते हैं। वे वेतन भी लेते हैं और बाद में संवेदनशील फाइलें चुराकर कंपनियों को ब्लैकमेल करते हैं। यह सिलसिला अब वैश्विक खतरे में बदल चुका है।