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पार्किंसंस रोग के जोखिम कम करने में सहायक हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
पार्किंसंस के जोखिम कम कर सकते हैं ये योगासन

पार्किंसंस रोग के जोखिम कम करने में सहायक हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास

लेखन अंजली
Sep 15, 2021
06:45 am

क्या है खबर?

पार्किंसंस रोग एक मानसिक रोग है जिससे ग्रस्त व्यक्ति के दिमाग के न्यूरोन धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं और इस वजह से उनके लिए शरीर का संतुलन बनाए रखना काफी मुश्किल हो जाता है। दरअसल, यह बीमारी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करती है। हालांकि योग इसके जोखिम को कम करने में काफी मदद कर सकता है। आइए ऐसे योगासनों के अभ्यास का तरीका जानते हैं जो पार्किंसंस के जोखिम कम करने में सहायक हो सकते हैं।

#1

उत्तानपादासन

उत्तानपादासन के अभ्यास के लिए पहले योगा मैट पर पीठ के बल सावधान मुद्रा में लेट जाएं और अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें। अब सांस भरते हुए अपनी दोनों टांगों को एक साथ ऊपर की तरफ उठाएं और 30 डिग्री के कोण तक ले जाकर रोक दें। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें और सांस छोड़ते हुए आसन को छोड़कर कुछ मिनट विश्राम करें। इसके बाद फिर से इस प्रक्रिया को दोहराएं।

#2

ताड़ासन

ताड़ासन के लिए पहले योगा मैट पर सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं और अपने दोनों हाथों को आसमान की ओर सीधा उठाकर अपनी उंगलियों को आपस में फंसा लें। अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए पंजों के बल खड़े हों और शरीर को ऊपर की ओर खींचने की कोशिश करें। जब शरीर पूरी तरह तन जाए तो इस मुद्रा में कुछ देर बने रहें और सांस लेते रहें। अंत में सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।

#3

पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन के लिए पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और फिर दोनों पैरों को धीरे-धीरे घुटनों से मोड़ते हुए छाती के पास ले आएं। अब दोनों हाथों को घुटनों पर रखते हुए उंगलियों को आपस में कस लें। इसके बाद सिर और कंधों को जमीन से उठाते हुए नाक को दोनों घुटनों को बीच लगाने का प्रयास करें। कुछ सेकंड के लिए इसी मुद्रा में बने रहने की कोशिश करें और फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।

#4

शवासन

शवासन के लिए योगा मैट पर आराम की मुद्रा में लेटें और आंखें बंद कर लें। अब दोनों हथेलियों को शरीर से लगभग एक फीट की दूरी पर रखें, वहीं पैरों को भी एक-दूसरे से लगभग दो फीट की दूरी पर रखें। अब धीरे-धीरे सांसें लें और पूरा ध्यान सांस पर लगाने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद आखों को धीरे-धीरे खोलें। अंत में दाईं ओर करवट लेकर उठें और आसन को छोड़ दें।