मेनोपॉज के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सक्षम हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
मेनोपॉज कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह महिलाओं के शरीर में होने वाला एक प्राकृतिक बदलाव है जो 45 से 55 साल की महिलाओं में होता है। पीरियड्स का अनियमित या बंद हो जाना, वजन बढ़ना और बालों का झड़ना मेनोपॉज के आम लक्षण हैं। हालांकि योग मेनोपॉज के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है। आइए आज इसके लिए कुछ योगासनों के अभ्यास का तरीका जानते हैं।
सुखासन
सुखासन के लिए पहले योगा मैट पर पैरों को सीधा करके बैठें। अब बाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाएं पैर की जांघ के नीचे रखें। इसके बाद दाएं पैर को मोड़कर बाएं पैर की जांघ के नीचे रखें, फिर दोनों हाथों को ध्यान मुद्रा में घुटनों पर रखें और अपनी दोनों आंखों को बंद करें। इस दौरान शरीर को आरामदायक स्थिति में रखें। कुछ सेकंड इसी स्थिति में रहने के बाद धीरे-धीरे आंखें खोलकर आसन को छोड़ दें।
ताड़ासन
ताड़ासन के लिए पहले योगा मैट पर सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं, फिर अपने दोनों हाथों को आसमान की ओर सीधा उठाकर अपनी उंगलियों को आपस में फंसा लें। अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए पंजों के बल खड़े हों और शरीर को ऊपर की ओर खीचने की कोशिश करें। जब शरीर पूरी तरह तन जाए तो इस मुद्रा में कुछ देर बने रहें और सांस लेते रहें। अंत में सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
शलभासन
शलभासन करने के लिए पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं, फिर अपने दोनों हाथों को जांघो के पीछे की ओर ले जाएं। अब लंबी सांस लेते हुए अपने सिर के साथ-साथ अपने दोनों पैरों और गर्दन को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाएं। ध्यान रहे कि इस दौरान आपका पेट जमीन पर ही रहना चाहिए। कुछ मिनट बाद इस मुद्रा को धीरे-धीरे छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं। इस आसन को आप 10-12 बार दोहरा सकते हैं।
उष्ट्रासन
उष्ट्रासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं, फिर घुटनों के बल ही खड़े हो जाएं। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें और दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर और बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रखने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम एक-दो मिनट रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं और कुछ मिनट विश्राम करें।