
शलभासन: अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरुरी है यह योगासन, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
अगर आप व्यस्त दिनचर्या और गलत खान-पान की वजह से होने वाली गंभीर बीमारियों से राहत पाना चाहते हैं तो आपके लिए योगासनों के अभ्यास से अच्छा और कोई विकल्प नहीं हो सकता।
आज हम आपको इन्हीं योगासनों में शामिल शलभासन के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं से राहत मिलती है।
चलिए फिर जानते हैं शलभासन करने का तरीका और इससे जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें।
अभ्यास
शलभासन के अभ्यास का तरीका
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर पेट के बल लेट जाएं। फिर अपने दोनों हाथों को जांघो के पीछे की ओर ले जाए।
अब लंबी सांस लेते हुए अपने सिर के साथ धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों और गर्दन को ऊपर की तरफ उठाएं।
लेकिन ध्यान रहे कि आपका पेट जमीन पर ही रहना चाहिए। कुछ मिनट बाद इस मुद्रा को धीरे-धीरे छोड़ते हुए सामान्य हो जाए। इस आसन को आप 10-12 बार दोहरा सकते हैं।
सावधानियां
शलभासन के अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
1) अगर आपकी गर्दन या फिर रीढ़ की हड्डी से संबंधी कोई समस्या है तो आपको इस योगासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए।
2) 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और गर्भवती महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
3) अगर आपको उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, अस्थमा या पेट से जुड़ी कोई समस्या है तो शलभासन का अभ्यास न करें, क्योंकि ऐसा करने से आपकी समस्या बढ़ सकती है।
फायदे
शलभासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
शलभासन का नियमित तौर पर अभ्यास कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकता है।
उदाहरण के तौर पर इसका रोजाना अभ्यास करने से पेट, पीठ, पैर और बांहों की मांसपेशियों में मजबूती आती है। इसके अतिरिक्त पाचन तंत्र और रक्त प्रवाह आदि पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बात अगर इसके अभ्यास से मिलने वाले मानसिक फायदों की करें तो यह चिंता और तनाव से मुक्ति दिलाने में भी सहायक हो सकता है।
महत्वपूर्ण टिप्स
शलभासन का अभ्यास करने से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण टिप्स
1) शलभासन दिखने में जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। इसे करने के दौरान शुरुआत में कुछ असुविधा महसूस हो सकती हैं। इसलिए इस योगासन का अभ्यास योग विशेषज्ञ की निगरानी में करें।
2) शुरुआत में आप केवल पैरों को उठाने का प्रयास करें। अपने ऊपरी शरीर को जमीन पर टिकाए रखें।
3) अपने शरीर को सहारा देने के लिए आप हाथों से सहारा ले सकते हैं। निरंतर अभ्यास से ही इस आसन में निपुण हो सकते हैं।