गणेश मुद्रा: जानिए इस योग के अभ्यास का तरीका, इसके लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें
गणेश मुद्रा को सभी योग हस्त मुद्राओं में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह अनगिनत सिद्धियां दिलाने के साथ-साथ कई तरह के रोगों से राहत देने वाला आसन है। अगर आप रोजाना इस मुद्रा का अभ्यास करते हैं तो इससे आपको कई तरह के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। आइए आज आपको इस मुद्रा के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
गणेश मुद्रा के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या फिर किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं। अब दोनों हाथों को छाती के सामने लाकर हथेलियों को एक-दूसरे के ऊपर रखें। इसके बाद दोनों हथेलियों की उंगलियों को मोड़कर एक टाइट ग्रिप बनाएं,। फिर हाथों की अवस्था को बदलें यानि जो हाथ ऊपर था उसे नीचे और नीचे वाले हाथ को ऊपर की ओर लाएं। हाथों के स्थान को 15 मिनट तक ऐसे ही बदलते रहें।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर हाथ में किसी तरह की चोट लगी है तो इस मुद्रा का अभ्यास करने से बचें। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को गणेश मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस मुद्रा के अभ्यास के समय अपनी उंगलियों को बहुत तेजी से न खींचे क्योंकि इससे हाथों में दर्द की समस्या हो सकती है। इस मुद्रा का अधिक समय तक अभ्यास शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इस आसन का अभ्यास ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट तक करना लाभदायक है।
मुद्रा के निरंतर अभ्यास से मिलने वाले फायदे
गणेश मुद्रा के अभ्यास से आत्मविश्वास बढ़ता है। यह मुद्रा स्मरण शक्ति को बढ़ाती है और इससे सकारात्मक सोच बढ़ती है। इस मुद्रा से शरीर की मांसपेशियां को भी मजबूती मिलती है। यह मुद्रा हृदय के लिए भी श्रेष्ठ है। बेहतर ब्लड सर्कुलेशन के लिए भी इस मुद्रा का अभ्यास करना लाभदायक है। चिंता और तनाव जैसे मानसिक विकारों से छुटकारा पाने के लिए भी गणेश मुद्रा का अभ्यास करना बेहतर है।
गणेश मुद्रा के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान खाली पेट रहें। इस मुद्रा का अभ्यास किसी शांत जगह पर बैठकर करें ताकि आपका ध्यान पूरी तरह से इस मुद्रा पर केंद्रित हो सके। बेहतर होगा कि आप इस मुद्रा का अभ्यास सूर्योदय के समय करें। अगर आप पहली बार इस मुद्रा का अभ्यास करने जा रहे है तो किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में यह अभ्यास करें। इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान सांस पर ज्यादा दबाव न डालें।