जानिए क्रोंचासन के अभ्यास का तरीका, इसके लाभ और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें
क्रोंचासन दो शब्दों (क्रोंच और आसन) के मेल से बना है। इसमें क्रोंच का मतलब सारस है और आसन का अर्थ मुद्रा है। इस आसन के अभ्यास के दौरान उठा हुआ पैर सारस की गर्दन की भांति दिखाई देता है, इसलिए इस आसन का नाम क्रोंचासन रख गया है। अगर आप रोजाना इस आसन का अभ्यास करते हैं तो इससे आपको ढेरों स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। आइए आज आपको क्रोंचासन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
क्रोंचासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठें। इसके बाद अपने बाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए पीछे की ओर ले जाएं और कूल्हों के नीचे दबाएं। अब अपने हाथों से दाएं पैर का तलवा पकड़कर इसे ऊपर की ओर उठाएं और पैर को सिर के पास लाने की कोशिश करें। इस अवस्था में 30 सेकंड तक रूकें और फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। इसके बाद इसी प्रक्रिया को दूसरे पैर से भी दोहराएं।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
इस आसन का अभ्यास करना थोड़ा कठिन है, इसलिए इसके हर स्टेप की तरफ धीरे-धीरे बढ़ें। अगर आपके हाथ-पैर या पीठ में दर्द है तो इस आसन का अभ्यास करने से बचें। इस आसन के अभ्यास के दौरान पैरों को उतना ही उठाएं, जितना आप आसानी से उठा सकते हैं क्योंकि जबरदस्ती करने से पैरों में दर्द हो सकता है। पीरियड्स और गर्भावस्था के दौरान महिलाएं इस आसन का अभ्यास न करें।
रोजाना क्रोंचासन का अभ्यास करने से मिलते हैं ये फायदे
क्रोंचासन शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करने में सहायक है। यह आसन पीठ, पैरों और हाथों की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। इस आसन से शरीर की संतुलन शक्ति भी बढ़ती है। इस योगासन से पाचन तंत्र की कार्यक्षमता को बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। इस आसन का किडनी पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। यह आसन हृदय के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। यह आसन तनाव जैसे मानसिक विकारों से भी राहत दिला सकता है।
क्रोंचासन के अभ्यास से जुड़ी विशेष टिप्स
अगर आप पहली बार क्रोंचासन का अभ्यास करने वाले हैं तो योग गुरू की मदद जरूर लें। अगर इस आसन का अभ्यास करते समय आप शरीर का संतुलन नहीं बना पा रहे हैं तो कुछ समय तक इस योगासन का अभ्यास दीवार के सहारे करें। अगर इस आसन का अभ्यास करने के दौरान आपको पैरों को ऊपर की ओर करने में परेशानी हो तो शारीरिक क्षमता से अधिक बल न डालें।