प्राण मुद्रा: बेहद लाभदायक है यह योग, जानिए इसके अभ्यास का तरीका और महत्वपूर्ण बातें
बिगड़ती जीवनशैली के साथ-साथ असंतुलित खान-पान शरीर को कई गंभीर बीमारियों का घर बना सकता है। इनसे राहत दिलाने में कुछ हस्त मुद्राओं का रोजाना अभ्यास काफी सहायक हो सकता है। ऐसी ही एक हस्त मुद्रा है प्राण मुद्रा जिसका नियमित रूप से अभ्यास करते रहने से कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से बचा जा सकता है। आइए आज आपको इस मुद्रा के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
प्राण मुद्रा के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या फिर किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं। अब अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखें। इस दौरान हथेलियां आकाश की तरफ होनी चाहिए। इसके बाद अपने हाथों की सबसे छोटी उंगली और अनामिका उंगली को अंगूठे के नोक से छूएं। बाकी उंगलियों को सीधा रखें। अब अपनी दोनों आंखों को बंद करें और इस मुद्रा में 20-25 मिनट तक रहने की कोशिश करें।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
सर्दी या जुकाम से ग्रस्त लोगों को प्राण मुद्रा का अभ्यास करने से बचना चाहिए। अगर आपको पीठ से संबंधित कोई समस्या है तो इस मुद्रा का अभ्यास न करें। कम रक्तचाप या अस्थमा से ग्रसित लोगों को भी प्राण मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को किसी योग विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही इस मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए।
प्राण मुद्रा के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
प्राण मुद्रा का अभ्यास हृदय को स्वस्थ रखने में काफी मदद कर सकता है। यह मुद्रा भूख और प्यास को नियंत्रित करने में मददगार है। इस मुद्रा के अभ्यास से आत्मविश्वास बढ़ता है। इस मुद्रा से पाचन तंत्र की कार्यक्षमता बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। यह मुद्रा मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को ऊर्जान्वित करने में सहायक है। यह मुद्रा मन और शरीर में संचित तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करके आराम देने में मदद करती है।
प्राण मुद्रा के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
अगर आप पहली बार इस मुद्रा का अभ्यास करने जा रहे हैं तो सबसे पहले इसकी प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझ लें और इसके बाद ही इसका अभ्यास करें। बेहतर होगा कि आप इस मुद्रा का अभ्यास सुबह आठ बजे से पहले करें क्योंकि इससे आपको मुद्रा का भरपूर फायदा मिल सकता है। इस मुद्रा का अभ्यास करते समय सांस लेने और छोड़ने में अधिक जोर न लगाएं।