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जानिए ज्ञान मुद्रा के अभ्यास का तरीका, इसके लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें
ज्ञान मुद्रा से जुड़ी अहम बातें

जानिए ज्ञान मुद्रा के अभ्यास का तरीका, इसके लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें

लेखन अंजली
Jul 17, 2021
06:45 am

क्या है खबर?

हस्त मुद्राएं स्वास्थ्य के लिए बेहद ही लाभदायक मानी जाती हैं क्योंकि ये न सिर्फ शरीर को सेहतमंद बनाती हैं बल्कि मन और दिमाग को शांत रखने में भी मदद करती हैं। ऐसी कई योग हस्त मुद्राएं हैं जिन्हें रोजाना करने की सलाह दी जाती है और इन्हीं में से एक है ज्ञान मुद्रा, जिसका नियमित अभ्यास स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। चलिए फिर इस मुद्रा के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।

अभ्यास

ज्ञान मुद्रा के अभ्यास का तरीका

सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को इस तरह से घुटनों पर रखें कि हथेलियां आकाश की तरफ हों। इसके बाद अपनी तर्जनी उंगली (Index finger) को अपने अंगूठे की नोक से मिलाएं और बाकी की उंगलियों को सीधा रखें। अब अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें। 15 से 20 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।

सावधानियां

अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां

अगर आपको ज्यादा देर तक बैठने में परेशानी होती है तो आप इस मुद्रा का अभ्यास लेटकर या खड़े होकर भी कर सकते हैं। कुछ खाने या पीने के तुरंत बाद इस मुद्रा का अभ्यास न करें। अगर आपके अंगूठे या तर्जनी उंगली में किसी तरह की चोट है या हड्डियों में तकलीफ है तो जबरदस्ती इस मुद्रा का अभ्यास न करें क्योंकि इससे आपकी परेशानी बढ़ सकती है। इस मुद्रा का अभ्यास करते समय नाक से ही सांस लें।

फायदे

ज्ञान मुद्रा के निरंतर अभ्यास से मिलने वाले फायदे

जिन लोगों को सिरदर्द और अनिद्रा जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है, उनके लिए इस मुद्रा का अभ्यास करना लाभदायक है। यह मुद्रा ध्यान केंद्रित करने की शक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ाती है। इस मुद्रा के अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस मुद्रा से मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। यह मुद्रा शांति और विचारों में स्पष्टता को बेहतर करने में भी सहायक है।

टिप्स

मुद्रा के अभ्यास से जुड़ी महत्वपूर्ण टिप्स

शुरूआत में इस मुद्रा का अभ्यास किसी योग गुरू की निगरानी में ही करें। इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान अंगूठों से उंगलियों को अधिक न दबाएं बल्कि सामान्य रूप से मुद्रा की अवस्था कायम रखें। इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान सांस पर ज्यादा दबाव न डालें। किसी शांत जगह पर इस मुद्रा का अभ्यास करें ताकि ध्यान लगाना आसान हो। सुबह के समय इस मुद्रा का अभ्यास करना फायदेमंद होता है।