सूर्य मुद्रा: स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है यह योग, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
योग में ऐसी कई महत्वपूर्ण हस्त मुद्राएं हैं जो स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभदायक हैं। इन्हीं में शामिल सूर्य मुद्रा हमारे लिए एक वरदान है क्योंकि यह हमारे शरीर, आत्मा और दिमाग पर गहरा असर डालती है। रोजाना इस मुद्रा का अभ्यास करना हर उम्र के व्यक्ति के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। आइए आज आपको इस मुद्रा के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और इससे जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
सूर्य मुद्रा के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या फिर सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद आप अपने दोनों हाथों को सीधा करके अपने घुटनों पर रखें। इस दौरान हथेलियां ऊपर की ओर हों। अब अपने दोनों हाथों के अंगूठों को अनामिका (Ring Finger) उंगलियों के ऊपर रखें। बाकी सभी उंगलियां सीधी रखें। इसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें। 15 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
मुद्रा के अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
सूर्य मुद्रा के अभ्यास का समय गर्मियों में कम रखें और बारिश और सर्दियों में बढ़ा दें क्योंकि यह मुद्रा अग्नि तत्व को बढ़ा देती है जिससे आपके शरीर में गर्मी बढ़ जाती है। शारीरिक रूप से कमजोर और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित लोग इस मुद्रा का अभ्यास किसी योग गुरू की निगरानी में करें। कमजोरी, चक्कर और एसिडिटी जैसी समस्याएं होने पर सूर्य मुद्रा का अभ्यास न करें क्योंकि इससे आपकी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
रोजाना सूर्य मुद्रा का अभ्यास करने से मिलने वाले फायदे
सूर्य मुद्रा का निरंतर अभ्यास शारीरिक ऊर्जा बढ़ाने में मदद करता है। यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी घटाने के लिए एक अच्छी मुद्रा है। इस मुद्रा से पाचन तंत्र की कार्यक्षमता बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। यह मुद्रा सर्दी, जुकाम, कफ, दमा, निमोनिया, थायराइड, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और अस्थमा जैसी बीमारियों से बचाने में भी मदद करती है। यह मुद्रा स्मरण शक्ति को बढ़ाती है और इससे सकारात्मक सोच बढ़ती है।
मुद्रा के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
तेज धूप और दिन के समय सूर्य मुद्रा का अभ्यास न करें। इस आसन का अभ्यास किसी ठंडी और शांत जगह पर बैठकर करें ताकि आपका ध्यान पूरी तरह से इस मुद्रा पर केंद्रित हो सके। इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान अंगूठों से उंगलियों को अधिक न दबाएं, बल्कि सामान्य रूप से मुद्रा की अवस्था कायम रखें। इस मुद्रा का अभ्यास शांत दिमाग से करें और इस दौरान खाली पेट रहें।