हिंदू नववर्ष 2022: भारतीय राज्यों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है इस दिन का जश्न

अप्रैल का महीना विभिन्न धार्मिक त्योहारों को उत्साह के साथ मनाने का महीना है क्योंकि इस समय में भारत के अलग-अलग राज्यों में हिंदू नववर्ष को विभिन्न त्योहारों के रूप में मनाया जाता है। हिंदू लूनर कैलेंडर के अनुसार, इस साल हिंदू नववर्ष 2 अप्रैल से शुरू होगा, जिसे नवरात्रि, उगादी, गुड़ी पड़वा और झूलेलाल जयंती जैसे त्योहारों के रूप में मनाते हैं। आइए जानते हैं कि ये त्योहार किन भारतीय राज्यों में मनाए जाते हैं।
तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में मनाया जाता है उगादी
उगादी का त्योहार दक्षिण भारतीय समुदाय के लिए हिंदू नववर्ष का प्रतीक है। यह त्योहार 2 अप्रैल से शुरू है और इसे तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। लोग इस त्योहार की शुरुआत तेल से स्नान करने और नीम के पत्ते खाने से करते है। वहीं, अपने घर को आम के पत्तों से सजाते हैं।
गोवा और महाराष्ट्र में मनाया जाता है गुड़ी पड़वा
गोवा और महाराष्ट्र में हिंदू नववर्ष को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। इसके अतिरिक्त, ऐसा भी माना कहा जाता है कि लोगों ने इस दिन भगवान राम की रावण पर जीत के उपलक्ष्य में गुड़ी या झंडा फहराया था। इसलिए इस त्योहार पर मराठी लोग तेल स्नान करके गुड़ी के झंडे फहराते हैं और अपने घर को रंगोली से सजाते हैं।
सिंधी समुदाय मनाता है झूलेलाल जयंती
सिंधी समुदाय हिंदू नववर्ष या कहें कि चैत्र के पहले महीने को झूलेलाल जयंती के रूप में मनाता है। यह सिंधी संरक्षक संत झूलेलाल या इष्टदेव उदरोलाल की जयंती का प्रतीक है। ऐसा कह जाता है कि उनका जन्म 10 वीं शताब्दी में सिंध में हुआ था। इस दिन सिंधी लोग जल की पूजा करते हैं और बहाराना साहिब (झूलेलाल का प्रतिनिधित्व) को पास की एक झील में ले जाते हैं।
हिंदू समुदाय चैत्र नवरात्रि के रूप में मनाता है हिंदू नववर्ष
हिंदू समुदाय के बीच हिंदू नववर्ष चैत्र नवरात्रि के रूप मनाया जाता है। नवरात्रि 2 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल तक है और इसके दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों को पूजा जाता है। इसके अतिरिक्त, लोग नवरात्रि के अवसर पर उपवास रखते हैं तो मां दुर्गा को अपने-अपने तरीके से रिझाने की कोशिश करते हैं। वहीं, अष्टमी या फिर नवमी पर अपने उपवास को खोलते हैं।