Page Loader
पुराने रीति-रिवाज और परंपराएं जो आज भी हैं सार्थक, जानिए इनकी वजह
पुराने रीति-रिवाज और परंपराएं जो आज भी हैं सार्थक

पुराने रीति-रिवाज और परंपराएं जो आज भी हैं सार्थक, जानिए इनकी वजह

लेखन अंजली
Feb 03, 2022
11:34 pm

क्या है खबर?

भारत विभिन्न तरह की जातियों और धर्मों वाला देश है और यहां के हर रीति-रिवाज और परंपराओं को आस्था से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन उनमें से कई विज्ञान से जुड़े हुए हैं। फिर चाहें बात हाथ जोड़कर नमस्ते करने की हो या घंटी को बजाकर मंदिर में प्रवेश करना हो। आइए आज हम कुछ ऐसे ही रीति-रिवाज और परंपराओं के बारे में बताते हैं, जो आज भी सार्थक हैं और उनके पीछे वैज्ञानिक कारण मौजूद हैं।

#1

हाथ जोड़कर नमस्ते करना

अमूमन लोग मानते हैं कि हाथ जोड़कर नमस्ते करने का मतलब सामने वाले को सम्मान देना है, लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण है कि इससे कई तरह के शारीरिक लाभ मिलते हैं। दरअसल, जब आप हाथ जोड़ते हैं तो हथेलियों और उंगलियों के उन बिंदुओं पर दबाव पड़ता है, जो आंख, नाक, कान और हदय आदि शरीर के अंगों से सीधा संबंध रखते हैं और इन्हें स्वस्थ रखते हैं। योग में हाथ जोड़कर नमस्ते करने को अंजलि मुद्रा कहा जाता है।

#2

खाना बनाते समय हल्दी का इस्तेमाल करना

भारत में कई पीढ़ियों से खाने में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता आ रहा है, जो न सिर्फ खाने में रंग देने का काम करती है बल्कि इससे कई तरह के स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकते हैं। कई वैज्ञानिक शोध पर गौर फरमाएं तो हल्दी एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी फंगल जैसे कई पोषक गुणों से संपूर्ण मानी जाती है और शरीर के जहरीले तत्वों को बाहर निकालने के साथ-साथ संक्रमण से बचाने में सहायक मानी जाती है।

#3

मंदिर की घंटी या घंटे को बजाना

क्या आप यह जानते हैं कि मंदिर की घंटी या घंटे को क्यों बजाया जाता है? शायद आ इसे आस्था का नाम देंगे, जबकि ऐसा नहीं है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि जब हम मंदिर में घंटा बजाते है तो कुछ सेकेंड तक इसकी ध्वनि हमारे आसपास ही गूंजती है। माना जाता है कि यह ध्वनि हमारे शरीर में मौजूद सुकून पहुंचाने वाले सात बिंदू सक्रिय हो जाते हैं और नाकारात्मक ऊर्जा शरीर से बाहर हो जाती है।

#4

जमीन पर बैठकर खाना खाना

अक्सर आपने अपने बड़ों को यह कहते हुए सुना होगा कि जमीन पर बैठकर खाना खाना अच्छा होता है, लेकिन क्या आपने कभी इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश की है? शायद नहीं। जमीन पर बैठकर खाना खाने का वैज्ञानिक कारण यह है कि जब हम धरती पर दोनों पैर मोड़कर बैठते हैं तो यह सुखासन की मुद्रा बन जाती है, जिससे दिमाग की उन धमनियों को सकारात्मक संदेश पहुंचता है, जो पाचन क्रिया से जुड़ी होती हैं।

जानकारी

न्यूजबाइट्स प्लस (बोनस इंफो)

भारत के कई रीति-रिवाज और परंपराओं के साथ वैज्ञानिक कारण जुड़े हुए हैं, लेकिन कई ऐसे भी हैं, जिनका अंधविश्वास से संबंध है, इसलिए किसी भी रीति-रिवाज या परंपरा को अपनाते समय उसका सही कारण जरूर जानें।